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Make in India: रक्षा उत्पादन में मोदी सरकार की प्राथमिकता

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Make in India: भारत की मेक इन इंडिया योजना, जिसे भारत को एक प्रमुख निर्माण शक्ति बनाने के उद्देश्य से लागू किया गया था, ने रक्षा क्षेत्र में अद्भुत परिवर्तन किए हैं। पिछले दस वर्षों में, इस योजना ने न केवल रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया है, बल्कि रक्षा निर्यात में भी अभूतपूर्व वृद्धि की है। 2023-24 में, रक्षा निर्यात ₹21,083 करोड़ तक पहुंच गया, जबकि दस साल पहले यह केवल ₹500-600 करोड़ था।

रक्षा निर्यात में वृद्धि

दुनिया में तेजी से बदलते सुरक्षा परिदृश्य के बीच, भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में जो कदम उठाए हैं, उनके परिणामस्वरूप रक्षा निर्यात में 32.5% की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाता है। मेक इन इंडिया अभियान की शुरुआत से पहले, रक्षा निर्यात का स्तर मात्र 1,000 करोड़ रुपये था, जो अब 21 गुना बढ़ चुका है।

Make in India:  रक्षा उत्पादन में मोदी सरकार की प्राथमिकता

दशक भर की यात्रा

2014-15 में रक्षा उत्पादन ₹46,429 करोड़ था, जो 2023-24 में बढ़कर ₹1,27,264 करोड़ हो गया है। यह वृद्धि भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता का स्पष्ट संकेत है। इस वृद्धि के साथ, सरकार का लक्ष्य इसे ₹1.75 लाख करोड़ तक पहुंचाना है। यह लक्ष्य आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की संकल्पबद्धता को प्रदर्शित करता है।

मोदी सरकार का आत्मनिर्भरता पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को एक उच्च प्राथमिकता दी है। मेक इन इंडिया योजना के तहत, भारत ने अपनी रक्षा उत्पादन क्षमता को तीन गुना करने और रक्षा निर्यात को 2028-29 तक दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

रक्षा मंत्री का विश्वास

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने एक ट्वीट में कहा, “मेक इन इंडिया अभियान ने रक्षा उत्पादन के मामले में देश की तस्वीर को बदल दिया है। पहले लगभग 65 से 70 प्रतिशत रक्षा सामग्री का आयात होता था, लेकिन अब यह घटकर 35 प्रतिशत रह गया है।”

राजनाथ सिंह ने यह भी विश्वास व्यक्त किया है कि 2029 तक रक्षा निर्यात ₹50,000 करोड़ को पार कर जाएगा। मेक इन इंडिया के रक्षा क्षेत्र में सफलता का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने भी अपनी कार्यक्षमता में सुधार किया है, जो पहले असमर्थ माने जाते थे।

असाधारण वृद्धि के संकेत

रक्षा उत्पादन और निर्यात में इस असाधारण वृद्धि ने कई सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को मजबूत किया है। हालांकि निजी क्षेत्र का योगदान उत्पादन में अधिक है, लेकिन सरकारी उपक्रमों ने भी 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी प्राप्त की है। रक्षा निर्यात के अनुमोदनों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। 2022-23 में ये 1414 थे, जो 2023-24 में बढ़कर 1507 हो गए हैं।

नए रक्षा औद्योगिक परिदृश्य का निर्माण

मेक इन इंडिया अभियान के तहत एक नया रक्षा औद्योगिक परिदृश्य तैयार किया गया है, जिसमें सरकारी कंपनियों के साथ-साथ लार्सन एंड टुब्रो (L&T), गोदरेज, अदानी जैसे बड़े कॉर्पोरेट समूह शामिल हैं। इस परिदृश्य के तहत ब्रह्मोस बैलिस्टिक मिसाइल से लेकर लड़ाकू विमान, गोला-बारूद और नाइट विजन उपकरणों तक सभी प्रकार के रक्षा सामग्रियों का निर्माण भारत में हो रहा है।

आत्मनिर्भरता की दिशा में नीतिगत निर्णय

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए दो प्रमुख नीतिगत निर्णय लिए गए हैं:

  1. स्थानीय कंपनियों से खरीद के लिए 75 प्रतिशत धनराशि निर्धारित करना।
  2. स्वदेशीकरण के लिए उपकरणों और सामग्रियों की एक सूची तैयार करना।

4666 रक्षा वस्तुओं को स्वदेशीकरण के लिए निर्धारित किया गया है, जिनमें कच्चे माल, आवश्यक उपकरण और घटक शामिल हैं। इनमें से 2920 वस्तुओं का स्वदेशीकरण किया जा चुका है। हर साल 40 से 50 लाइसेंस रक्षा उत्पादन के लिए जारी किए जा रहे हैं

आंकड़ों की तस्वीर

वित्तीय वर्ष | रक्षा उत्पादन (करोड़ रुपये)

  • 2014-15: 46429
  • 2015-16: 52968
  • 2016-17: 74054
  • 2017-18: 78820
  • 2018-19: 81120
  • 2019-20: 79071
  • 2020-21: 84643
  • 2021-22: 94845
  • 2022-23: 108684
  • 2023-24: 127264

Manoj kumar

Editor-in-chief

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