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Rudraprayag: युवाओं ने मद्महेश्वर घाटी में 78 किमी लंबा ट्रैकिंग रूट खोजा, डिजिटल मानचित्र और तस्वीरें कीं तैयार

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Rudraprayag: मद्महेश्वर  घाटी में एक नई ट्रैकिंग रूट की खोज ने क्षेत्र के युवाओं के लिए एक नया इतिहास रच दिया है। इस ट्रैकिंग रूट की लंबाई 78 किमी है और यह चोप्ता-बिसुदीतल-खामदीर-नंदकुंड-मद्महेश्वर  के रास्ते पर फैला हुआ है। यह क्षेत्र बर्फीले ग्लेशियरों, झीलों और कठिन चट्टानी क्षेत्रों से भरा हुआ है। भविष्य में यह ट्रैकिंग रूट भारत और विदेश के ट्रैकर्स के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन सकता है।

खोज की शुरुआत

यह ट्रैकिंग रूट युवाओं ने पहले गूगल मैप पर देखा था। इसके बाद, उन्होंने इस ट्रैक के भौतिक अवस्था को समझने के लिए एक डिजिटल मानचित्र तैयार किया और उसी की मदद से इस रूट की खोज की। इस पांच सदस्यीय टीम में अभिषेक पंवार और अजय पंवार, मद्महेश्वर  घाटी के गौंडर गांव के निवासी, संजय नेगी, बड़ा उस गांव के निवासी, विनय नेगी, नई टिहरी के बाड़ीगढ़ से और विपिन सिंह, डंगी गांव से शामिल थे।

Rudraprayag: युवाओं ने मद्महेश्वर  घाटी में 78 किमी लंबा ट्रैकिंग रूट खोजा, डिजिटल मानचित्र और तस्वीरें कीं तैयार

यात्रा का प्रारंभ

20 सितंबर को, इस पांच सदस्यीय टीम ने चोप्ता के पर्यटन स्थल से नई ट्रैक खोजने का अभियान शुरू किया। पहले दिन, उन्होंने 3 किमी की दूरी तय की और रात के लिए मार्टोली पहुंचे। अगले दिन, 21 सितंबर को, सुबह 6 बजे, टीम ने मार्टोली से यात्रा शुरू की और कई नदियों और नालों को पार करते हुए 15 किमी की दूरी तय की और चित्र वादियार पहुंची।

कठिन रास्तों का सामना

22 सितंबर को, टीम ने चित्र वादियार से आगे बढ़ते हुए, डिजिटल मानचित्र की मदद से दवा मरूड़ा पहुंची, जो छोटे खेतों और घाटियों के बीच स्थित है। 23 सितंबर को, दवा मरूड़ा से आगे बढ़ते हुए, टीम ने कठिन रास्ते को पार करते हुए अजय पास पहुंची।

प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव

24 सितंबर को, युवाओं की टीम ने अजय पास से अभियान को आगे बढ़ाया और दगडनियाल खाल पहुंची, जहां उन्होंने दूर से भारतकुंड, केदारनाथ, केदारडोम, खार्च कुंड, भागीरथी, मन्दानी पार्वती, सातपथ, जनहुकुंड और चौखंबा के प्राकृतिक सौंदर्य का अवलोकन किया। यह पूरा क्षेत्र चट्टानी है और यहां पत्थर की चादरें बिछी हुई हैं।

भौगोलिक विशेषताएँ

यह क्षेत्र चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों की सीमा पर स्थित है। खामदीर, जो समुद्र स्तर से 4500 मीटर की ऊंचाई पर है, यहां से शुरू होता है। पूरे क्षेत्र में बड़े पहाड़ी भूभाग हैं और खामदीर के निचले हिस्से में पेड़ की रेखा शुरू होती है।

टीम ने यहां से पांडवसेरा के माध्यम से नंदीकुंड, शेषनाग कुंड और कछिनी खाल से नीचे उतरकर दूसरे केदार मद्महेश्वर  पहुंचने का निर्णय लिया।

डिजिटल मानचित्र का निर्माण

टीम के सदस्य विनय नेगी ने चोप्ता-बिसुदीतल-खामदीर-नंदकुंड-मद्महेश्वर  ट्रैक का तीन डिजिटल मानचित्र तैयार किए। इन मानचित्रों में ट्रैकिंग रूट के प्रत्येक बिंदु को दर्शाया गया है, ताकि ट्रैकर्स को कोई समस्या न हो।

अभिषेक पंवार, जो टीम का हिस्सा थे, ने कहा कि इस ट्रैक के बारे में संपूर्ण रिपोर्ट वन विभाग और पर्यटन विभाग को दी जाएगी, ताकि विभागीय स्तर पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।

पिछले अनुभव

युवाओं ने पिछले वर्ष भी मद्महेश्वर  घाटी में एक झील की खोज की थी, जिसे उन्होंने ‘शिव सरोवर’ नाम दिया। यह झील मद्महेश्वर -पांडवसेरा-नंदकुंड-गिया विनायक पास-पनापातिया ट्रैकिंग सर्किट पर स्थित है। 2022 में, युवाओं ने 27 अगस्त को ट्रैकिंग अभियान शुरू किया और 1 सितंबर को झील की खोज की।

भविष्य की योजनाएँ

इस ट्रैकिंग रूट की खोज न केवल इन युवाओं के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इससे स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।

युवाओं ने यह साबित कर दिया है कि यदि कोई ठान ले, तो कुछ भी असंभव नहीं है। उनकी मेहनत और लगन ने मद्महेश्वर  घाटी को एक नए ट्रैकिंग रूट का गवाह बनाया है, जो भविष्य में पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य बन सकता है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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