Uttarkashi Mosque Dispute: प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा, नैनीताल हाई कोर्ट में आज होगी सुनवाई

Uttarkashi Mosque Dispute: उत्तरकाशी जिले में मस्जिद विवाद का मामला पिछले चार महीनों से सुर्खियों में है और अब इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में आज, गुरुवार को सुनवाई होने वाली है। इस बीच, इस विवाद को लेकर जिले में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। जिले के विभिन्न हिस्सों में विवाद को लेकर तनाव का माहौल बना हुआ है, जिससे प्रशासन ने एहतियातन सुरक्षा बढ़ा दी है।
मस्जिद विवाद की जड़ें
उत्तरकाशी के भटवाड़ी रोड पर स्थित एक सुन्नी समुदाय की मस्जिद को लेकर विवाद पिछले कुछ समय से गर्माया हुआ है। विवाद तब शुरू हुआ था जब 24 सितंबर से कुछ संगठनों ने इस मस्जिद को गैरकानूनी बताते हुए इसे गिराने की धमकी दी थी। इसके बाद से मस्जिद के बचाव में आवाजें उठने लगीं और इसे लेकर एक तकरार की स्थिति पैदा हो गई।
इस मामले में उत्तरकाशी की माइनॉरिटी सर्विस कमेटी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें मस्जिद को गैरकानूनी करार दिए जाने के खिलाफ और उसकी रक्षा की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि मस्जिद पूरी तरह से कानूनी है और इसे 1969 में जमीन खरीद कर स्थापित किया गया था। 1986 में वक्फ कमिश्नर द्वारा की गई जांच में भी इसे कानूनी पाया गया था।
हाई कोर्ट में सुनवाई और प्रशासन की भूमिका
माइनॉरिटी सर्विस कमेटी द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि कुछ संगठनों द्वारा मस्जिद को लेकर की जा रही बयानबाजी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को निर्देश दिए थे कि यदि किसी जाति, धर्म या समुदाय के खिलाफ उकसावे वाले बयान दिए जाते हैं तो राज्य सरकार को तुरंत मामले में कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन इस मामले में अब तक राज्य सरकार ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है।
इस मामले पर आज नैनीताल हाई कोर्ट में सुनवाई होगी। कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील ने यह आरोप लगाया कि मस्जिद को गिराने की धमकी देने वाले बयान से इलाके में तनाव फैल रहा है, और ऐसे बयान सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं। अब हाई कोर्ट में यह सुनवाई होगी कि इस मस्जिद की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए।
Bajrang Dal और महापंचायत का विरोध
दूसरी ओर, देवभूमि विचार मंच द्वारा मस्जिद के खिलाफ आयोजित महापंचायत के बाद, अब बजरंग दल के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन तैयार किया जा रहा है। इसके तहत मस्जिद के खिलाफ लोगों को उकसाने और विरोध प्रदर्शन की योजनाएं बन रही हैं। ऐसे में, जिला प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
जांच समिति द्वारा किए जा रहे दस्तावेज़ों की जांच
इस विवाद के बीच, जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट के निर्देश पर एक जांच समिति का गठन किया गया है, जो मस्जिद से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रही है। इस समिति के अध्यक्ष एसडीएम भटवाड़ी मुकेश चंद्र रामोला ने हाल ही में मस्जिद से संबंधित दस्तावेजों पर संदेह जताया था और मस्जिद की जमीन के 9 खाता धारकों को नोटिस जारी किया था। इनमें से तीन खाता धारक ऐसे थे, जिनकी मौत 8 साल पहले हो चुकी थी।
इन दस्तावेजों की जांच अब जल्द ही शुरू की जाएगी। हालांकि, महापंचायत और अन्य कामों के चलते जांच समिति अब तक इन दस्तावेजों की पूरी जांच नहीं कर सकी थी, लेकिन अब उम्मीद जताई जा रही है कि दस्तावेजों की जांच शीघ्र पूरी हो जाएगी।
मुख्यमंत्री की भूमिका और राज्य सरकार की कार्रवाई
इस मसले पर राज्य सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। उत्तरकाशी के मस्जिद विवाद के बीच मुख्यमंत्री ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अधिकारियों से हालात पर नजर बनाए रखने और शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद, राज्य सरकार ने अब तक मस्जिद को लेकर किसी भी पक्ष के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की है, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष की भावना बढ़ रही है।
राज्य सरकार को अब इस मसले पर कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि शांति और सद्भाव बनाए रखा जा सके। उत्तरकाशी में इस विवाद के राजनीतिक और धार्मिक पहलू को देखते हुए राज्य सरकार की सक्रियता की आवश्यकता है।
समाज में बंटवारा और बढ़ती असहमति
उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर बढ़ते विवाद ने समाज में गहरी खाई पैदा कर दी है। एक ओर जहाँ माइनॉरिटी सर्विस कमेटी और मस्जिद के समर्थक इसे कानूनी मानते हुए इसके बचाव में खड़े हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ संगठन और लोग इसे गैरकानूनी मानते हुए इसे गिराने की मांग कर रहे हैं। इस विवाद ने उत्तरकाशी के समाज में एक असहमति की स्थिति पैदा कर दी है, जिससे शांति भंग होने का खतरा बढ़ गया है।
क्या होगा आगे?
उत्तरकाशी मस्जिद विवाद अब हाई कोर्ट में है, और यहां से आने वाला फैसला ही इस विवाद को निर्णायक दिशा दे सकता है। वहीं, प्रशासन द्वारा बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था और जांच समिति द्वारा किए जा रहे दस्तावेज़ों की जांच से यह स्पष्ट होगा कि इस विवाद में कानूनी पक्ष क्या रहेगा और समाज में शांति कैसे बहाल की जा सकती है।
इस बीच, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी पक्ष किसी भी प्रकार की हिंसा या असहमति का सहारा न ले। क्या हाई कोर्ट का फैसला इस विवाद को हल करेगा या फिर यह मामला और जटिल हो जाएगा, यह तो वक्त ही बताएगा।






