Uttarakhand: उत्तराखंड में अपार आईडी योजना, छात्रों के लिए महत्वपूर्ण पहचान पत्र बनाने में देरी

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Uttarakhand: उत्तराखंड में छात्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई महत्वपूर्ण योजना, अपार आईडी के तहत 22 लाख से अधिक छात्रों की पहचान पत्र तैयार करने का कार्य चल रहा है। यह योजना सरकारी और निजी स्कूलों के कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए है। हालांकि, देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले इस कार्य में पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं और लक्ष्य पूरा करने में कठिनाई का सामना कर रहे हैं।

अपार आईडी क्या है?

अपार आईडी एक 12 अंकों की स्थायी पहचान पत्र है, जिसे छात्रों की शिक्षा के दौरान उनके शैक्षिक रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए बनाया जा रहा है। यह आईडी छात्रों के जीवनभर के लिए होगी और इससे उन्हें अपनी शैक्षिक प्रमाणपत्रों की प्रमाणिकता को सत्यापित करने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार इस परियोजना को लेकर लगातार दबाव बना रही है ताकि सभी छात्रों के लिए यह आईडी बनाई जाए और शिक्षा से संबंधित धोखाधड़ी को रोका जा सके।

लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका

उत्तराखंड के सभी जिलों को नवंबर 2024 तक छात्रों के 100 प्रतिशत अपार आईडी बनाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन अब तक इस लक्ष्य को पूरा नहीं किया जा सका है। राज्य के प्रमुख जिलों, जैसे देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर में अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया बहुत धीमी गति से चल रही है। इन जिलों में लक्ष्य का 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हो सका है, जो योजना के लिए चिंताजनक स्थिति है।

देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर की स्थिति

विशेष रूप से देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर में अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया में देरी हो रही है। देहरादून जिले में अब तक केवल 17.32 प्रतिशत छात्रों के अपार आईडी बनाए जा सके हैं, जबकि हरिद्वार में यह आंकड़ा 25.59 प्रतिशत और उधम सिंह नगर में 31.31 प्रतिशत ही है। इन जिलों में इस योजना का कार्य पूरी तरह से धीमा पड़ा हुआ है और इसके कारण अन्य जिलों में भी लक्ष्य को पूरा करने में समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।

हालांकि, राज्य परियोजना निदेशालय समग्र शिक्षा ने जिलों को इस कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं और कहा है कि दिसंबर के अंत तक अपार आईडी बनाने का काम पूरी तरह से पूरा किया जाना चाहिए।

अन्य जिलों की स्थिति

अगर हम राज्य के अन्य जिलों की बात करें, तो कुछ जिलों में अपार आईडी बनाने की प्रक्रिया अपेक्षाकृत बेहतर है, हालांकि वे भी लक्ष्य से बहुत पीछे हैं। जैसे कि अल्मोड़ा जिले में 49.32 प्रतिशत छात्रों की आईडी बनाई जा चुकी है, बागेश्वर में 57.06 प्रतिशत, चमोली में 60.24 प्रतिशत और चंपावत में 44.87 प्रतिशत। इसके अलावा, नैनीताल में 37.13 प्रतिशत, पौड़ी में 54 प्रतिशत और पिथौरागढ़ में 41.72 प्रतिशत छात्रों के अपार आईडी बनाए जा चुके हैं।

हालांकि, इन जिलों में भी पूरी प्रक्रिया 100 प्रतिशत पूरी नहीं हो सकी है, और राज्य सरकार ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दिसंबर के महीने तक अपार आईडी का कार्य समाप्त कर दिया जाए।

आखिर क्यों हो रही है देरी?

इस परियोजना में देरी के कई कारण हो सकते हैं। सबसे प्रमुख कारण सूचना प्रौद्योगिकी (IT) संबंधी मुद्दे, डेटा संग्रहण की समस्या, और कर्मचारियों की कमी हो सकती है। कई स्कूलों में छात्रों के डेटा की जानकारी सही तरीके से उपलब्ध नहीं है या फिर टेक्नोलॉजी के सही उपयोग की कमी हो सकती है। इसके अलावा, प्रशासनिक समस्याएं और अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी भी कार्य में विलंब का कारण बन सकती हैं।

अधिकारियों के निर्देश और योजना की अहमियत

राज्य परियोजना निदेशक समग्र शिक्षा, कुलदीप गैरोला ने इस कार्य में तेजी लाने के लिए निर्देश जारी किए हैं और कहा है कि इस कार्य को पूरा करने के लिए सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को पूरी ताकत से प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा, “अपार आईडी बनवाने से छात्रों के शैक्षिक रिकॉर्ड एक सुरक्षित स्थान पर रहेंगे और उन्हें प्रमाणपत्रों की सत्यापन प्रक्रिया से गुजरने की जरूरत नहीं होगी। यह न केवल छात्रों के लिए सुविधाजनक होगा बल्कि धोखाधड़ी को भी रोकेगा।”

कुलदीप गैरोला ने यह भी बताया कि 9 और 10 दिसंबर को उत्तराखंड सहित पूरे देश में “मेगा अपार डे” मनाया जाएगा। इस दिन सभी सरकारी और निजी स्कूलों में अपार आईडी बनाने का कार्य तेज गति से किया जाएगा, ताकि इस लक्ष्य को जल्द से जल्द पूरा किया जा सके।

अग्रिम योजना और भविष्य

राज्य सरकार ने इस कार्य को प्राथमिकता दी है और सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि वे दिसंबर के अंत तक सभी छात्रों के अपार आईडी तैयार करें। यह योजना छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि इससे उनके शैक्षिक रिकॉर्ड सुरक्षित और प्रमाणिक बनेंगे, और प्रमाणपत्रों की जांच प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी।

इसके अलावा, केंद्र सरकार ने इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया है, जिससे देशभर में छात्रों की पहचान को सुदृढ़ किया जा सके। यह योजना न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षा प्रणाली के लिए भी एक गेम चेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि इससे शिक्षा के स्तर में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ेगा।

उत्तराखंड में अपार आईडी योजना के तहत छात्रों की पहचान पत्र बनाने का कार्य अपेक्षाकृत धीमा चल रहा है, खासकर देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर में। राज्य सरकार ने इस कार्य को तेज गति से पूरा करने के लिए निर्देश दिए हैं और इस पर ध्यान केंद्रित किया है। आगामी “मेगा अपार डे” से उम्मीद है कि इस योजना को लागू करने में तेजी आएगी और अगले कुछ महीनों में सभी छात्रों के अपार आईडी बन जाएंगे।

 

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