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Lal Krishna Advani की सेहत में गिरावट, भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता की स्वास्थ्य स्थिति पर एक नजर

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भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिग्गज नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री Lal Krishna Advani की सेहत में हाल ही में गिरावट आई है, जिसके कारण उन्हें शनिवार को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। आडवाणी की उम्र अब 97 वर्ष है, और पिछले कुछ महीनों से वह कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। उनकी स्थिति का लगातार इलाज किया जा रहा है और इस समय वह अस्पताल के आईसीयू (ICU) में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज डॉ. विनीत सूरी, वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट की देखरेख में किया जा रहा है। अस्पताल ने एक बयान में कहा कि आडवाणी की स्थिति फिलहाल स्थिर है, और उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर आगामी अपडेट समय-समय पर दिया जाएगा।

आडवाणी की स्वास्थ्य समस्याएँ

लाल कृष्ण आडवाणी पिछले कुछ महीनों से स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इस वर्ष में यह चौथी बार है जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जुलाई में, आडवाणी को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) से छुट्टी मिलने के कुछ ही दिनों बाद फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनकी लगातार बढ़ती उम्र के साथ-साथ सेहत में गिरावट आ रही है, और यह स्थिति भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण क्षण को दर्शाती है, क्योंकि आडवाणी न केवल BJP के संस्थापक सदस्य हैं, बल्कि भारतीय राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी रहे हैं।

Lal Krishna Advani की सेहत में गिरावट, भारतीय राजनीति के दिग्गज नेता की स्वास्थ्य स्थिति पर एक नजर

आडवाणी का राजनीतिक सफर

लाल कृष्ण आडवाणी का राजनीतिक करियर भारतीय राजनीति के सबसे प्रमुख अध्यायों में से एक रहा है। आडवाणी का नाम भारतीय राजनीति में हमेशा एक सशक्त और प्रभावशाली नेता के रूप में लिया जाता है। 1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन और बाबरी मस्जिद विवाद के बाद आडवाणी ने अपनी राजनीतिक यात्रा में महत्वपूर्ण मोड़ लिया था। आडवाणी ने इस आंदोलन की अगुआई करते हुए देश भर में रथ यात्रा निकाली, जिससे उनकी पहचान एक बड़े हिंदू नेता के रूप में बन गई। इसके बाद, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को देशभर में विस्तार देने और उसकी विचारधारा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आडवाणी का राजनीतिक करियर बहुत ही संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने भाजपा के संस्थापक सदस्य के रूप में पार्टी को स्थापित करने के साथ-साथ उसे देश के सबसे बड़े राजनीतिक दलों में से एक बनाने में अहम भूमिका निभाई। वे 2002 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उप प्रधानमंत्री रहे और भारत की राजनीति में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। उनका राजनीतिक दृष्टिकोण और उनके फैसले हमेशा विवादों के घेरे में रहे, लेकिन उनकी ईमानदारी और पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता हमेशा स्पष्ट रही।

रथ यात्रा और राम मंदिर आंदोलन

लाल कृष्ण आडवाणी के राजनीतिक जीवन का सबसे अहम और विवादित क्षण 1990 में आया, जब उन्होंने बाबरी मस्जिद के स्थल पर राम मंदिर निर्माण के समर्थन में रथ यात्रा शुरू की। यह यात्रा न केवल भारतीय राजनीति को नए दिशा में मोड़ने का काम किया, बल्कि हिंदू कट्टरपंथी विचारधारा को भी बढ़ावा दिया। यह आंदोलन भारतीय जनता पार्टी के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ, और पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

आडवाणी ने अपनी यात्रा के दौरान देशभर में लाखों लोगों को राम मंदिर के निर्माण के लिए एकजुट किया और भाजपा के लिए एक विशाल समर्थक वर्ग तैयार किया। हालांकि, यह यात्रा विवादों से घिरी रही और इसके कारण देश में कई जगह दंगे भी हुए, लेकिन इसके बावजूद आडवाणी की राजनीतिक पकड़ मजबूत हुई और वे भाजपा के सबसे बड़े चेहरे बन गए।

आडवाणी का योगदान और भाजपा का निर्माण

1977 में जब जनता पार्टी का गठन हुआ, तो लाल कृष्ण आडवाणी उस समय इसके एक महत्वपूर्ण सदस्य बने। 1980 में जब जनता पार्टी का विघटन हुआ, तब आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी ने मिलकर भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की। इसके बाद से आडवाणी ने भारतीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की और भाजपा को एक प्रमुख पार्टी बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका मार्गदर्शन और नेतृत्व भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में अहम साबित हुआ।

उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

आडवाणी ने 2002 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतियों का निर्माण किया और देश की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका कार्यकाल भारतीय राजनीति में एक स्वर्णिम युग के रूप में याद किया जाता है, क्योंकि इस समय कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, जिनमें आर्थिक सुधार, राष्ट्रीय सुरक्षा, और विदेश नीति शामिल हैं।

आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने 2004 के लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की, हालांकि वाजपेयी सरकार को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन आडवाणी के नेतृत्व में पार्टी को एक नया दृष्टिकोण और दिशा मिली।

आडवाणी का संघर्ष और सम्मान

लाल कृष्ण आडवाणी का जीवन संघर्ष से भरा हुआ रहा है। उन्होंने भारतीय राजनीति में अपने योगदान से न केवल भाजपा को एक मजबूत पार्टी बनाया, बल्कि देश की राजनीति में भी एक स्थायी छाप छोड़ी। उनकी नेतृत्व क्षमता और उनके फैसले भारतीय राजनीति के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे।

आडवाणी की सेहत में गिरावट के बाद, देश भर में उनके समर्थकों और राजनीति के जानकारों ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। आडवाणी के योगदान को ना केवल भारतीय जनता पार्टी, बल्कि सम्पूर्ण भारतीय राजनीति में सम्मान से देखा जाता है। उनके संघर्ष और समर्पण को आज भी नई पीढ़ी के नेताओं के लिए एक प्रेरणा के रूप में देखा जाता है।

भविष्य की राजनीति में आडवाणी का स्थान

आडवाणी की सेहत में गिरावट और उनकी बढ़ती उम्र के बावजूद, उनकी राजनीतिक विरासत भारतीय राजनीति में हमेशा जीवित रहेगी। उनका योगदान न केवल भाजपा के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। आज के नेताओं के लिए आडवाणी का जीवन और कार्य एक मार्गदर्शक बनकर उभरा है, और उनकी विचारधारा और दृष्टिकोण से भारतीय राजनीति को हमेशा मार्गदर्शन मिलता रहेगा।

लाल कृष्ण आडवाणी ने भारतीय राजनीति को जिस तरह से प्रभावित किया, वह एक अनमोल धरोहर है, और उनका योगदान हमेशा भारतीय राजनीति में याद किया जाएगा।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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