अपना उत्तराखंड

शहनाइयों की धुन पर सिसकता है बचपन

Spread the love

रुड़की। भले ही यह अपना व परिवार का पेट पालने की मजबूरी हो और लोग इसका फायदा उठा रहे हों लेकिन प्रतिबंध के बावजूद बाल श्रम जारी है। भावी पीढ़ी उसके बोझ तले दब रही है। यहां शहनाइयों की धुन और फिल्मी तरानों के बीच बाल श्रम निषेध कानून की खूब धज्जियां उड़ती हैं और इन शादी समारोहों में शामिल होने वाले जिम्मेदार भी सब कुछ देखकर अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं। शादी समारोहों में जब लोग थिरक रहे होते हैं, तो मासूमों की उदासी बड़ी आसानी से समझी जा सकती है। लाइटों के गमले ढोते ये मासूम चंद पैसों के लिए घंटों बैंडबाजे के आगे कतार में होते हैं। श्रम विभाग व प्रशासन इस ओर आंखे मूंदे रहता है। बाल श्रम रोकने के लिए कानून बना है, लेकिन कानून का पालन कराने वाले जिम्मेदारों को परवाह नहीं है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!