Tripura: अमित शाह की रणनीति से त्रिपुरा में सफलता, NLFT और ATTF के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर

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Tripura: त्रिपुरा में शांति और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में, केंद्रीय सरकार, त्रिपुरा सरकार, राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) के प्रतिनिधियों ने बुधवार को एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा और गृह मंत्रालय तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

NLFT और ATTF कौन हैं?

राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा (NLFT) और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) दोनों ही त्रिपुरा में उग्रवादी संगठन हैं जो राज्य की स्वतंत्रता और अलगाववादी उद्देश्य के लिए सक्रिय थे।

NLFT: राष्ट्रीय मुक्ति मोर्चा त्रिपुरा (NLFT) एक उग्रवादी संगठन है जिसकी स्थापना 1989 में हुई थी। यह संगठन त्रिपुरा के स्वतंत्रता की मांग करता है और इसके लिए हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त रहता है। इसका प्रमुख उद्देश्य त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व स्थापित करना और एक अलग आदिवासी राज्य की स्थापना करना है।

ATTF: ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स (ATTF) एक और उग्रवादी समूह है, जिसे 1990 के दशक के शुरूआत में स्थापित किया गया। ATTF का मुख्य उद्देश्य त्रिपुरा के आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना और एक स्वतंत्र त्रिपुरा की स्थापना करना है। यह संगठन भी हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त रहा है और त्रिपुरा में असंतोष और उग्रवाद को बढ़ावा देता रहा है।

समझौता ज्ञापन का महत्व

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद कहा कि यह समझौता पूर्वोत्तर भारत के लिए 12वां समझौता है और त्रिपुरा से संबंधित तीसरा समझौता है। अब तक लगभग 10,000 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है और उन्होंने अपनी बंदूकें डाल दी हैं। इस समझौते के तहत, NLFT और ATTF के 328 से अधिक सशस्त्र कैडर मुख्यधारा में शामिल होंगे।

अमित शाह ने समझौते के दौरान कहा कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में शांति और विकास को शीर्ष प्राथमिकता दी है। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर में हस्ताक्षर किए गए सभी शांति समझौतों को सरकार द्वारा लागू किया गया है और इसके लिए एक विकास पैकेज भी घोषित किया गया है।

सरकार की पहल और विकास पैकेज

गृह मंत्री शाह ने घोषणा की कि केंद्र सरकार द्वारा घोषित 2500 करोड़ रुपये का विकास पैकेज पूर्वोत्तर में लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए निरंतर प्रयासरत है, जिसमें एक विकसित और उग्रवाद-मुक्त पूर्वोत्तर की कल्पना की गई है।

मोदी सरकार द्वारा हस्ताक्षरित 12 महत्वपूर्ण समझौतों में से तीन त्रिपुरा से संबंधित हैं। शाह ने बताया कि इन समझौतों के कारण लगभग 10,000 लोगों ने हथियार डाल दिए हैं और मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। यह राज्य और केंद्र सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में से एक है जो क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को सुनिश्चित करती है।

शांति समझौते का प्रभाव

शांति समझौते का प्रभाव न केवल त्रिपुरा में बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। जब उग्रवादी समूह मुख्यधारा में शामिल होते हैं, तो इससे न केवल हिंसा में कमी आती है बल्कि विकास और सामाजिक समरसता में भी वृद्धि होती है। यह समझौता स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह समझौता इस बात का भी प्रमाण है कि सरकार शांति और विकास की दिशा में ठोस कदम उठा रही है। यह नागरिकों को एक सुरक्षित और समृद्ध वातावरण प्रदान करने का प्रयास है जहां वे अपने भविष्य की योजनाओं को साकार कर सकें। इसके अलावा, इस समझौते के माध्यम से पूर्वोत्तर में उग्रवाद की समाप्ति और स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है।

निष्कर्ष

अमित शाह की रणनीति और केंद्र सरकार की पहल से त्रिपुरा में शांति और स्थिरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा है। NLFT और ATTF जैसे उग्रवादी समूहों के साथ किए गए शांति समझौते ने क्षेत्र में हिंसा और असंतोष को कम करने में मदद की है। इस समझौते के माध्यम से, लगभग 328 सशस्त्र कैडर मुख्यधारा में शामिल होंगे, जो क्षेत्रीय शांति और विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।

मोदी सरकार के विकास पैकेज और शांति प्रयास पूर्वोत्तर भारत में लंबे समय से चली आ रही समस्याओं के समाधान में सहायक साबित हो रहे हैं। यह समझौता न केवल त्रिपुरा बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए एक नई आशा और संभावनाओं का संकेत है, जो विकास और शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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