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Delhi Waqf Board Case: AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया रिहाई का आदेश

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Delhi Waqf Board Case: दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के ओखला से विधायक अमानतुल्लाह खान को बड़ी राहत मिली है। गुरुवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दिया। कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर की गई पूरक चार्जशीट को फिलहाल संज्ञान में लेने से इंकार कर दिया और अमानतुल्लाह को एक लाख रुपये के बांड पर रिहा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने इस मामले में मरियम सिद्दीकी के खिलाफ कोई सबूत न होने की बात कही।

पूरा मामला क्या है?

यह मामला दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अवैध भर्तियों और संपत्तियों के गलत तरीके से लीज पर देने से जुड़ा हुआ है। यह आरोप 2018 से 2022 के बीच के समय से संबंधित है, जब अमानतुल्लाह खान वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे। ईडी ने आरोप लगाया है कि इस दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का गलत तरीके से लीज पर देना और कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियां की गईं। इसके लिए CBI और दिल्ली पुलिस ने तीन शिकायतें दर्ज की थीं, जिन पर कार्रवाई करते हुए ईडी ने केस दर्ज किया।

प्रवर्तन निदेशालय ने 2 सितंबर को अमानतुल्लाह खान को उनके ओखला स्थित आवास पर लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद से अमानतुल्लाह खान न्यायिक हिरासत में थे। एजेंसी ने आरोप लगाया कि खान ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अवैध गतिविधियों को अंजाम दिया और वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का दुरुपयोग किया। 29 अक्टूबर को ईडी ने इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 110 पेज की चार्जशीट में मरियम सिद्दीकी का भी नाम शामिल था। हालांकि, मरियम सिद्दीकी को इस मामले में आरोपी के रूप में गिरफ्तार नहीं किया गया।

Delhi Waqf Board Case: AAP विधायक अमानतुल्लाह खान को बड़ी राहत, कोर्ट ने दिया रिहाई का आदेश

कोर्ट का फैसला और आगे का रास्ता

राउज एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में अमानतुल्लाह खान को एक लाख रुपये के बांड पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल इस चार्जशीट को संज्ञान में नहीं लिया जा सकता। इस दौरान अदालत ने मरियम सिद्दीकी के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने का जिक्र किया, जिससे मरियम सिद्दीकी को भी राहत मिली।

अमानतुल्लाह खान ने अपनी गिरफ्तारी को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है, जहां यह मामला अभी विचाराधीन है। कोर्ट में रिहाई का आदेश मिलने के बाद, अब देखना होगा कि इस मामले में अगली सुनवाई में क्या निर्णय आता है।

मामले में शामिल अन्य लोग

ईडी ने अपनी चार्जशीट में अमानतुल्लाह खान के अलावा उनके तीन सहयोगियों – जीशान हैदर, दाऊद नासिर और जावेद इमाम सिद्दीकी को भी आरोपी बनाया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के दुरुपयोग और अवैध नियुक्तियों में अमानतुल्लाह खान का सहयोग किया।

वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का दुरुपयोग और अवैध भर्तियां

ईडी ने बताया कि वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रहते हुए अमानतुल्लाह खान ने कई कर्मचारियों की नियुक्ति की, जिनमें से कुछ नियुक्तियां नियमों का उल्लंघन कर की गईं। इसके अलावा, वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को गलत तरीके से लीज पर देना भी शामिल है। आरोप यह भी है कि वक्फ बोर्ड की कई संपत्तियों को न्यूनतम मूल्य पर किराए पर दिया गया, जिससे आर्थिक नुकसान हुआ। इस पूरे मामले में ईडी ने अमानतुल्लाह खान और उनके सहयोगियों की भूमिका की जांच की है।

विधायक की गिरफ़्तारी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

अमानतुल्लाह खान की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली में राजनीतिक माहौल गरमा गया था। आम आदमी पार्टी ने इसे राजनीतिक साजिश करार दिया और कहा कि सरकार विपक्ष के नेताओं को फंसाने का काम कर रही है। पार्टी का कहना है कि अमानतुल्लाह खान निर्दोष हैं और उन पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं।

अमानतुल्लाह खान का बयान और उनके वकील की दलीलें

अमानतुल्लाह खान ने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए कहा था कि उन्हें राजनीतिक कारणों से फंसाया जा रहा है। उनके वकील ने भी कोर्ट में दलील दी कि वक्फ बोर्ड के कार्यों को लेकर खान पर लगे आरोपों में कोई ठोस सबूत नहीं है।

मामले की संवेदनशीलता और अदालत का रुख

यह मामला संवेदनशील है क्योंकि यह धार्मिक और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोणों से जुड़ा हुआ है। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का उपयोग मुस्लिम समुदाय के धार्मिक कार्यों और सेवा कार्यों के लिए किया जाता है, ऐसे में इस मामले का असर समुदाय पर भी पड़ सकता है। कोर्ट का यह आदेश फिलहाल अमानतुल्लाह खान के लिए राहत भरा है, लेकिन मामले की अंतिम निर्णय अभी भी बाकी है।

अमानतुल्लाह खान की रिहाई का आदेश उनके और उनकी पार्टी के लिए राहत का सबब है। हालांकि, ईडी द्वारा लगाई गई अनियमितताओं के आरोप और चार्जशीट में दर्ज अन्य आरोपियों की भूमिका अभी भी जांच के दायरे में है। मामले की अगली सुनवाई और हाई कोर्ट में दाखिल याचिका का परिणाम इस पर अंतिम निर्णय देगा।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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