Tiger Safari Case में उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह से CBI ने की पूछताछ, करीब दो घंटे तक हुई पूछताछ

Tiger Safari Case: CBI ने कॉर्बेट टाइगर सफारी मामले में उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत से पूछताछ की। यह पूछताछ करीब दो घंटे तक चली, जिसमें CBI ने उनसे कई सवाल पूछे। यह मामला मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर दर्ज किया गया था। जांच के बाद, आरोपी ब्रिजबिहारी शर्मा और पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार किया गया।

हरक सिंह रावत से पूछताछ में पूछे गए सवाल
कॉर्बेट टाइगर सफारी मामले में CBI ने पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत से पूछताछ की। यह पूछताछ टाइगर सफारी के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद करने, कॉर्बेट पार्क के कालागढ़ डिवीजन के पाखरो रेंज में विवादित पूर्व डीएफओ किशनचंद की तैनाती, बेतरतीब ढंग से पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण को लेकर हुई।
CBI ने हरक सिंह से पूछताछ के दौरान कई सवाल पूछे। CBI, जो इस मामले की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर कर रही है, ने पहली बार हरक सिंह को पूछताछ के लिए बुलाया था।
पूर्व डीएफओ किशनचंद भी गिरफ्तार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर इस मामले में वर्ष 2022 में हल्द्वानी सेक्टर में सतर्कता विभाग में मामला दर्ज किया गया था। जांच के बाद, सतर्कता विभाग ने आरोपी ब्रिजबिहारी शर्मा को गिरफ्तार किया और इसके बाद, 24 दिसंबर 2022 को पूर्व डीएफओ किशनचंद को भी गिरफ्तार किया गया।
सतर्कता विभाग ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट भी दाखिल की है। हाईकोर्ट के आदेश पर, अक्टूबर 2023 में मामला CBI को स्थानांतरित कर दिया गया। CBI ने सभी जांच रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद, अब उन आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है जिनके नाम इस मामले में सामने आए हैं।
पाखरो रेंज सफारी के गोपनीय दस्तावेज CBI को सौंपे
सूत्रों के अनुसार, लंबी पूछताछ के दौरान पूर्व मंत्री हरक सिंह ने CBI को कुछ गोपनीय दस्तावेज सौंपे हैं। इनमें कुछ नौकरशाहों के नाम भी शामिल हैं। इसमें कुछ आईएफएस अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। CBI जल्द ही उन आईएफएस अधिकारियों को भी पूछताछ के लिए बुला सकती है, जो उस समय कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ वन प्रभाग के पाखरो में तैनात थे।
बिना वित्तीय और प्रशासनिक मंजूरी के हुआ निर्माण कार्य
पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए अवैध रूप से पेड़ों की कटाई का मामला तब सामने आया जब नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने इस संबंध में प्राप्त शिकायत की फील्ड जांच की। साथ ही, शिकायत को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की।
इस मामले की अब तक कई एजेंसियों ने जांच की है। जांच में सामने आया कि सफारी के लिए अनुमोदित से अधिक पेड़ों की कटाई के साथ-साथ, बिना वित्तीय और प्रशासनिक मंजूरी के बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य किया गया।
सुप्रीम कोर्ट की उच्च स्तरीय समिति ने भी इस मामले में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह की भूमिका पर सवाल उठाए थे और उन्हें जिम्मेदार ठहराया था। भारतीय वन सर्वेक्षण की जांच में यहां छह हजार से अधिक पेड़ों की कटाई का मामला सामने आया। इस मामले में दो आईएफएस अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया था।






