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R. Krishnaiah का बड़ा बयान, अनुसूचित जातियों के लिए पार्टी बनाने का दबाव

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R. Krishnaiah: आंध्र प्रदेश की राजनीति में पिछले कुछ समय से काफी हलचल मची हुई है। यंगिस्तान श्रमिक किसान कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के राज्‍यसभा सदस्य आर. कृष्णैया ने बुधवार को अपनी राज्‍यसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद कहा कि वे किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। इसके बजाय, उन पर अनुसूचित जातियों के लिए एक राजनीतिक पार्टी बनाने का दबाव है। उनका यह बयान उन जटिलताओं और विवादों को दर्शाता है, जो आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मुद्दों को लेकर उत्पन्न हो रहे हैं।

आरक्षण का मुद्दा

कृष्णैया ने स्पष्ट किया है कि उनका उद्देश्य विधानसभा और स्थानीय निकायों में अनुसूचित जातियों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग करना है, जो उनकी जनसंख्या के अनुपात में हो। उन्होंने कहा, “मैं अनुसूचित जातियों के मुद्दों को उठाने के लिए प्रतिबद्ध हूं और इसके लिए सक्रिय रूप से कार्य करूंगा।”

R. Krishnaiah का बड़ा बयान, अनुसूचित जातियों के लिए पार्टी बनाने का दबाव

उनका कहना है कि YSRCP में रहते हुए वे पार्टी के नेताओं से मिलकर अनुसूचित जातियों के मुद्दों को आगे नहीं बढ़ा सके, क्योंकि इस पार्टी की विचारधारा में उन मुद्दों को लेकर मतभेद हैं। कृष्णैया ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “मैं अपने समर्थन और शुभचिंतकों से काफी दबाव महसूस कर रहा हूं कि मैं एक राजनीतिक पार्टी बनाऊं।”

कांग्रेस और भाजपा से प्रस्ताव

कृष्णैया ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें कांग्रेस और भाजपा से प्रस्ताव मिल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे अभी किसी भी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। “मैं इस मुद्दे पर एक महीने के भीतर निर्णय लूंगा,” उन्होंने कहा।

उनका यह बयान उस समय आया है जब YSRCP ने तेलंगाना विधानसभा और लोकसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन किया है। इस हार के बाद कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है, जिससे विपक्षी पार्टी को राज्य में बड़ा झटका लगा है। कृष्णैया खुद पार्टी छोड़ने वाले तीसरे नेता हैं, जिन्होंने हाल ही में अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया है। इससे पहले B मस्तान राव जाधव और वेंकट रमण राव मोपिदेवी ने भी राज्‍यसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया था।

कृष्णैया ने स्पष्ट किया है कि उनके और YSRCP के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी के बीच कोई व्यक्तिगत मतभेद नहीं है। उनका कहना है कि उनकी चिंता सिर्फ अनुसूचित जातियों के मुद्दों को उठाने और उनकी भलाई के लिए कार्य करने की है। उन्होंने कहा, “मैं जगन मोहन रेड्डी के साथ अपने रिश्तों को बनाए रखना चाहता हूं, लेकिन मैं अपनी बातों को प्रभावी ढंग से नहीं रख पा रहा हूं।”

राजनीति में दबाव और संघर्ष

कृष्णैया का यह बयान केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक व्यापक समस्या का संकेत है। अनुसूचित जातियों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व और आरक्षण की मांग एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसे कई राजनीतिक दल अपने राजनीतिक लाभ के लिए उठाते हैं। लेकिन वास्तव में, यह एक आवश्यक विषय है जिसे गहराई से समझा जाना चाहिए।

राजनीतिक दबाव और संघर्ष का सामना कर रहे कृष्णैया का यह कहना कि उन्हें अपने समर्थकों से काफी दबाव महसूस हो रहा है, यह दर्शाता है कि राजनीतिक स्थिति कितनी जटिल हो गई है। अनुसूचित जातियों के नेता अब एक पार्टी बनाने की सोच रहे हैं, जिससे उनके मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाया जा सके।

समाज में प्रभाव

कृष्णैया के इस्तीफे और उनके संभावित नए राजनीतिक कदमों से आंध्र प्रदेश की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। यदि वे एक नई पार्टी बनाने का निर्णय लेते हैं, तो यह अनुसूचित जातियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इससे उनकी आवाज को और अधिक मजबूती मिल सकती है और उनके अधिकारों के लिए एक मजबूत आंदोलन खड़ा हो सकता है।

कृष्णैया का कहना है कि अगर वे एक राजनीतिक पार्टी बनाते हैं, तो यह पार्टी पूरी तरह से अनुसूचित जातियों के मुद्दों पर केंद्रित होगी। उनका उद्देश्य न केवल राजनीतिक शक्ति प्राप्त करना है, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदार रहना भी है।

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