Bahraich violence: रामगोपाल की हत्या के बाद तनाव, ग्रामीण शव लेकर तहसील की ओर बढ़े
Bahraich violence: उत्तर प्रदेश के बहेराइच जिले में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, जहां रविवार रात दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान पत्थरबाजी और गोलीबारी की घटनाएं हुईं। यह घटनाएं हार्दि पुलिस थाना क्षेत्र के महाराजगंज में हुईं, जिसमें 22 वर्षीय रामगोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई। रामगोपाल की हत्या ने स्थानीय समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। सोमवार सुबह जैसे ही रामगोपाल का शव गांव पहुंचा, वहां हंगामा मच गया। ग्रामीणों ने प्रशासन के प्रति आक्रोश व्यक्त किया और तहसीलदार को गांव से भगा दिया।
घटना का विवरण
दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस रिहुआ मंसूर गांव से शुरू हुआ और जब यह महाराजगंज बाजार में पहुंचा, तो एक विशेष समुदाय के लोगों ने धार्मिक स्थल के सामने डीजे बजाने के कारण रामगोपाल मिश्रा को गोली मार दी। यह घटना सामाजिक समरसता को तोड़ने वाली साबित हुई, जिसके परिणामस्वरूप इलाके में भारी बवाल हुआ।
पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज किया, जिससे लोग और भी उग्र हो गए। इसके बाद ग्रामीणों ने आगजनी और पत्थरबाजी की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
शव के पहुंचने पर स्थिति
सोमवार की सुबह, जब रामगोपाल का शव गांव पहुंचा, तो वहां हजारों लोग जमा हो गए। ग्रामीणों ने मांग की कि हत्यारों को कड़ी सजा दी जाए। उन्होंने शव के साथ तहसील की ओर मार्च करना शुरू किया, जिसमें परिवार के सदस्य भी शामिल थे। लोगों का कहना था कि अपराधियों को फांसी दी जानी चाहिए और उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जाना चाहिए।
इस बीच, प्रशासन के अधिकारी, जिसमें तहसीलदार भी शामिल थे, ग्रामीणों की नाराजगी का सामना करने लगे। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि गांव में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। इंस्पेक्टर-इन-चार्ज आलोक कुमार सिंह ने कहा कि सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात है और अधिकारियों के साथ वार्ता चल रही है।
स्थानीय विधायक की भूमिका
हंगामे के बीच, विधायक सुरेश्वर सिंह ने रात में घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने अधिकारियों को समझाया और आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विधायक की बात सुनकर लोगों ने प्रतिमा विसर्जन के लिए सहमति जताई। इसके बाद, प्रतिमाओं का विसर्जन सुबह 6 से 8 बजे के बीच किया गया।
पुलिस के खिलाफ कार्रवाई
पत्थरबाजी और बवाल के कारण पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई की। पुलिस अधीक्षक व्रिंदाशुक्ला ने हार्दि थाने के प्रभारी सुरेश कुमार वर्मा और महसी तहसील चौकी प्रभारी शिवकुमार सरोज को निलंबित कर दिया। इसके अलावा कुछ अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें समझाने के बजाय लाठीचार्ज करना शुरू कर दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
सामाजिक ताना-बाना
यह घटनाएँ न केवल बहेराइच के लिए बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। धार्मिक पहचान और समुदायों के बीच तनाव ने सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर दिया है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए।
आगे की चुनौतियाँ
बहेराइच की यह घटना एक बार फिर यह सिद्ध करती है कि सामाजिक सौहार्द बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। अगर समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो इससे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।
स्थानीय नेताओं और प्रशासन को चाहिए कि वे इस मुद्दे को गम्भीरता से लें और उचित संवाद स्थापित करें। लोगों के मन में व्याप्त भय और अविश्वास को दूर करने के लिए यह आवश्यक है कि समाज के सभी वर्गों के बीच संवाद बढ़ाया जाए।