Uttarakhand: आज सचिवालय मार्च करेंगे UPNL कर्मचारी, 22 हजार कर्मचारी करेंगे हड़ताल, संघ ने समर्थन किया
Uttarakhand: उत्तराखंड में UPNL (उत्तराखंड प्रोफेशनल्स एंप्लॉयज यूनियन) के कर्मचारियों ने आज सचिवालय मार्च का ऐलान किया है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें जल्द लागू नहीं की जातीं, तो संगठन से जुड़े 22 हजार कर्मचारी आज से हड़ताल पर चले जाएंगे। इसके साथ ही राज्य निगम कर्मचारी महासंघ और हाइड्रो इलेक्ट्रिक कर्मचारी संघ ने भी कर्मचारियों के आंदोलन का समर्थन किया है।
क्या हैं कर्मचारी की प्रमुख मांगें?
UPNL कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के राज्य संयोजक विनोद गोदीयाल ने बताया कि हाई कोर्ट ने 2018 में एक अहम निर्णय लिया था, जिसमें UPNL कर्मचारियों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने और नियमितीकरण के नियम बनाने की बात कही थी। लेकिन राज्य सरकार ने इस निर्णय को लागू नहीं किया और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी।
इस निर्णय के बाद भी सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेशों को लागू नहीं किया, जिसके कारण कर्मचारियों में भारी आक्रोश है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया, फिर भी सरकार ने इस मामले को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब सरकार एक बार फिर से विशेष अनुमति याचिका (SLP) सुप्रीम कोर्ट में दायर करने की तैयारी कर रही है।
UPNL कर्मचारियों में गुस्से का माहौल
इस स्थिति से राज्यभर के UPNL कर्मचारियों में गुस्से का माहौल है। कर्मचारी अब अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। इस आंदोलन में विधायक भगवापुर, ममता राकेश ने भी UPNL कर्मचारियों के समर्थन में अपनी आवाज उठाई है।
UPNL कर्मचारी राज्य के विभिन्न हिस्सों से देहरादून पहुंच रहे हैं और पारेड ग्राउंड पर एकत्रित होंगे। इसके बाद, वे पारेड ग्राउंड से सचिवालय तक मार्च करेंगे। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
सार्वजनिक सेवाओं पर असर
UPNL कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने का सीधा असर राज्य की कई महत्वपूर्ण सेवाओं पर पड़ सकता है। खासकर स्वास्थ्य सेवाओं में, जिनमें सरकारी मेडिकल कॉलेज और नर्सिंग स्कूल्स भी शामिल हैं। इसे देखते हुए, मेडिकल शिक्षा निदेशालय ने वैकल्पिक व्यवस्थाएं करने के निर्देश जारी किए हैं।
संयुक्त निदेशक, मेडिकल शिक्षा ने इस संबंध में सरकार के सभी मेडिकल कॉलेजों को यह निर्देश दिया है कि वे प्रस्तावित हड़ताल के दौरान वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करें। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि हड़ताल से राज्यभर में स्वास्थ्य सेवाओं पर कोई असर न पड़े, इसलिए अतिरिक्त व्यवस्था की जाएगी।
संगठनों का समर्थन
UPNL कर्मचारियों के आंदोलन को राज्य निगम कर्मचारी महासंघ और हाइड्रो इलेक्ट्रिक कर्मचारी संघ का भी समर्थन मिला है। इन दोनों संघों ने बयान जारी कर कहा है कि UPNL कर्मचारियों की मांगें पूरी तरह से जायज़ हैं और उनका समर्थन कर्मचारियों के साथ है। इन संघों का मानना है कि यदि सरकार इन कर्मचारियों के अधिकारों को मान्यता नहीं देती है तो यह राज्य के कर्मचारियों के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।
UPNL कर्मचारियों के आंदोलन का बड़ा असर
यह आंदोलन उत्तराखंड में कर्मचारियों के अधिकारों के लिए एक अहम मोड़ पर खड़ा है। UPNL कर्मचारी राज्य में विभिन्न विभागों में कार्यरत हैं, और उनका कामकाजी जीवन सीधे तौर पर राज्य की कई प्रमुख सेवाओं से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यदि ये कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो इससे राज्य सरकार की कार्यप्रणाली में विघ्न उत्पन्न हो सकता है।
राज्य सरकार के लिए यह एक बड़ा परीक्षण है कि वह कैसे इस मुद्दे का समाधान करती है और कर्मचारियों की मांगों को हल करने के लिए क्या कदम उठाती है।
क्या होगा अगर आंदोलन बढ़ता है?
यदि यह आंदोलन और बढ़ता है, तो इससे राज्य की कई सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। खासकर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और अन्य सरकारी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। राज्य सरकार के लिए यह चुनौतीपूर्ण होगा कि वह कर्मचारियों के अधिकारों को मान्यता देते हुए, उनके आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से हल कर पाए।
कर्मचारियों का कहना है कि उनका आंदोलन कोई व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक और कानूनी अधिकार की लड़ाई है। उनका उद्देश्य केवल अपने हक को प्राप्त करना है और राज्य सरकार से न्याय की उम्मीद रखना है।
UPNL कर्मचारियों का आज से शुरू होने वाला आंदोलन राज्य के लिए एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर किस तरह की कार्रवाई करती है और क्या कर्मचारियों की मांगें पूरी होती हैं या नहीं। यदि आंदोलन तेज होता है, तो इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जो राज्य की कार्यप्रणाली और कर्मचारियों के बीच रिश्तों को प्रभावित कर सकते हैं।
राज्य सरकार और कर्मचारियों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिए एक त्वरित और प्रभावी समाधान की आवश्यकता है, ताकि राज्य में सामान्य जीवन और सेवाएं प्रभावित न हों।