PM Modi: ‘यह भारतीय संस्कृति की शाश्वत धारा का प्रमाण है’, स्वामीनारायण मंदिर के 200वें स्थापना दिवस पर बोले मोदी
PM Modi ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से श्री स्वामीनारायण मंदिर के 200वें स्थापना दिवस के समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने स्वामीनारायण भगवान की कृपा का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वडताल धाम में आयोजित इस भव्य द्विशताब्दी समारोह में देश और विदेश से अनेक हरि भक्त उपस्थित हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस आयोजन को सिर्फ एक ऐतिहासिक तारीख नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक माना। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा अवसर है, जो न केवल उन लोगों के लिए है, जिन्होंने वडताल धाम में अनगिनत श्रद्धा और विश्वास के साथ जीवन बिताया है, बल्कि यह पूरे देशवासियों के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है।
स्वामीनारायण मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
श्री स्वामीनारायण मंदिर का 200 साल पुराना इतिहास भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह मंदिर वडताल धाम में स्थित है, जो भारतीय संस्कृति के महान केंद्रों में से एक है। स्वामीनारायण भगवान ने 200 साल पहले इस धाम की स्थापना की थी, और तब से लेकर आज तक यह स्थान हर भक्त के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। इस मंदिर में भगवान स्वामीनारायण के अनुयायी उनकी शिक्षाओं और उनके आदर्शों के अनुसार जीवन जीते हैं, और यह धाम लाखों भक्तों के लिए आस्था और विश्वास का केन्द्र बन चुका है।
प्रधानमंत्री मोदी की शुभकामनाएं और विचार
प्रधानमंत्री मोदी ने समारोह के दौरान कहा, “आज हम सब वडताल धाम में भगवान स्वामीनारायण की कृपा से एक बहुत ही भव्य द्विशताब्दी समारोह मना रहे हैं। यह सिर्फ एक ऐतिहासिक तिथि नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धारा और हमारी आस्था का प्रतीक है। हम आज भी स्वामीनारायण भगवान की शिक्षाओं और ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।”
मोदी ने आगे कहा, “यह अवसर हमारे लिए भारतीय संस्कृति के शाश्वत प्रवाह का प्रमाण है। स्वामीनारायण भगवान ने हमें जीवन जीने का एक उच्चतम आदर्श दिया है, और यह आदर्श आज भी हमारे जीवन में जीवित है। इस धाम की स्थापना ने हम सभी को सत्य, अहिंसा, सेवा और धार्मिकता का मार्ग दिखाया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से हम उन शिक्षाओं को न केवल याद कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अपने जीवन में भी आत्मसात करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से वडताल धाम के भक्तों की श्रद्धा और सेवा भाव की सराहना की, जो हर वर्ष इस स्थान को अपनी आस्था और समर्पण से संजीवनी शक्ति प्रदान करते हैं।
भारतीय संस्कृति की शाश्वत धारा
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय संस्कृति के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि स्वामीनारायण मंदिर के द्विशताब्दी समारोह का आयोजन इस बात का प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति हमेशा जीवित और गतिशील रही है। उन्होंने भारतीय परंपराओं की निरंतरता और विकास की ओर इशारा किया और कहा कि भारतीय संस्कृति अपने जड़ों से जुड़ी हुई है, जो समय के साथ और भी सशक्त होती जा रही है।
मोदी ने बताया कि वडताल धाम की शिक्षाओं का प्रभाव न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में फैला हुआ है। स्वामीनारायण भगवान के अनुयायी अब सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि विदेशों में भी इस धारा के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा व्यक्त कर रहे हैं। उनका मानना था कि भारतीय संस्कृति के ये मूल्य आज भी हर व्यक्ति के जीवन में जीवित हैं, और यह द्विशताब्दी समारोह हमें उन मूल्यों को पुनः आत्मसात करने का अवसर प्रदान करता है।
आध्यात्मिक जागरूकता और सेवा कार्य
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर सेवा कार्यों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि वडताल धाम में आकर लोग न केवल आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में आगे बढ़ते हैं, बल्कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन भी करते हैं। पीएम मोदी ने कहा, “आज लोग यहां आकर सेवा कार्यों में भाग ले रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि आध्यात्मिकता और सेवा का एक गहरा संबंध है। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है, जिसमें जीवन के हर पहलू को एकजुट किया जाता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि स्वामीनारायण मंदिर के द्विशताब्दी समारोह ने न केवल भारतीय धार्मिक परंपराओं को पुनर्जीवित किया है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भाईचारे का भी प्रतीक बना है। मोदी ने कहा कि इस प्रकार के आयोजनों से देश में सकारात्मक बदलाव लाने की प्रेरणा मिलती है, और ये हमें अपने राष्ट्र को और मजबूत बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
वडताल धाम की विशेषता
वडताल धाम की विशेषता यह है कि यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का केंद्र है, बल्कि यहां की गतिविधियां समाज सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। प्रधानमंत्री ने वडताल धाम के भक्तों और प्रबंधकों की मेहनत और समर्पण को सराहा, जो न केवल धार्मिक कार्यों में, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए भी कार्यरत हैं।
समारोह का महत्व और आगे की दिशा
स्वामीनारायण मंदिर के द्विशताब्दी समारोह का आयोजन भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धारा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समारोह इस बात का प्रतीक है कि भारत की संस्कृति और आस्था हमेशा प्राचीन रही है और भविष्य में भी यह निरंतर विकसित होती रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस समारोह के आयोजन को भारतीय संस्कृति के संरक्षण और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि यह समारोह हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस संबोधन ने सभी को भारतीय संस्कृति की शाश्वत धारा की महिमा का अहसास कराया और यह याद दिलाया कि हमें अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने की जिम्मेदारी है।