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Manipur में सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ में 11 उग्रवादी ढेर, एक जवान घायल; जिरीबाम जिले में कर्फ्यू लागू

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Manipur में हिंसा की आग थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को जिरीबाम जिले में सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में 11 उग्रवादी मारे गए हैं। इस घटना से इलाके में फिर से तनाव फैल गया है, और जिरीबाम में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है।

हमला और मुठभेड़ का विवरण

पुलिस के अनुसार, दोपहर करीब 3 बजे कुछ सशस्त्र उग्रवादियों ने जिरीबाम जिले के जकुरधोर क्षेत्र में स्थित सीआरपीएफ पोस्ट और पास के बोरबेक्रा पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया। इस हमले में उग्रवादियों ने भारी गोलाबारी की, जिसका सुरक्षा बलों ने मुंहतोड़ जवाब दिया।

Manipur में सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ में 11 उग्रवादी ढेर, एक जवान घायल; जिरीबाम जिले में कर्फ्यू लागू

करीब 45 मिनट तक चली इस मुठभेड़ में दो जवान घायल हो गए, जिनमें से सीआरपीएफ कांस्टेबल संजीव कुमार को गोली लगी है। उनका इलाज जारी है, और उनकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है।

मुठभेड़ के दौरान मारे गए उग्रवादियों के पास से 3 एके राइफल, 4 एसएलआर, 2 इन्सास राइफल, 1 आरपीजी (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड), 1 पंप एक्शन गन, बुलेटप्रूफ हेलमेट और कई मैगजीन बरामद की गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि उग्रवादी हथियारों से लैस होकर आए थे और उनका उद्देश्य सुरक्षा बलों पर बड़े पैमाने पर हमला करना था।

पांच लोग लापता, तलाश जारी

इस घटना के बाद जकुरधोर पुलिस स्टेशन परिसर में स्थित राहत शिविर में रहने वाले 5 लोगों के लापता होने की सूचना मिली है। अधिकारियों ने बताया कि लापता लोगों की तलाश जारी है और इस मामले में जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस को आशंका है कि हिंसा के माहौल में ये लोग अनजाने में कहीं चले गए हों, या फिर किसी भय के कारण वे छिप गए हों।

जिरीबाम में बंद की घोषणा

घटना के बाद, कुकी समुदाय के संगठनों ने आज जिरीबाम में बंद का आह्वान किया है। कुकी-जो काउंसिल ने मारे गए लोगों को गांव के स्वयंसेवक या गांव रक्षक बताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है। कुकी-जो काउंसिल के बयान के अनुसार, “हमारे महत्वपूर्ण गांव रक्षकों की हत्या केवल उनके परिवारों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे कुकी-जो समुदाय के लिए एक विनाशकारी आघात है।”

संगठन ने सुबह 5:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक जिरीबाम में पूरी तरह से बंद रखने का ऐलान किया है। यह बंद मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने और सामूहिक शोक व एकजुटता व्यक्त करने के उद्देश्य से किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बंद के दौरान सभी व्यावसायिक और शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे, और लोग घरों में रहकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

जिरीबाम में लंबे समय से अशांति का कारण

जिरीबाम पिछले लगभग 18 महीनों से अशांत बना हुआ है। मणिपुर के बहुसंख्यक मेइती समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय के बीच तनावपूर्ण संबंध लगातार हिंसक संघर्षों में बदलते जा रहे हैं। राज्य में व्याप्त इस सांप्रदायिक तनाव की शुरुआत उस समय हुई जब मणिपुर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को सुझाव दिया कि मेइती समुदाय को भी सरकारी नौकरियों और शिक्षा में उन विशेष आर्थिक लाभों और आरक्षण का लाभ दिया जाए, जो अब तक केवल कुकी समुदाय को मिल रहे थे।

जिरीबाम-इम्फाल मार्ग पर वर्चस्व की लड़ाई

जिरीबाम में तनाव की मुख्य वजह है जिरीबाम-इम्फाल को जोड़ने वाला राजमार्ग और रेलवे लाइन। यह मार्ग मणिपुर की जीवनरेखा माना जाता है क्योंकि राज्य में दैनिक उपयोग की अधिकांश वस्तुएं इसी मार्ग के जरिए इम्फाल तक पहुंचाई जाती हैं।

इस मार्ग के आसपास बसे कुकी और मेइती दोनों ही समुदाय इस क्षेत्र पर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं, ताकि उनका समुदाय इस मार्ग से जुड़े आर्थिक और सामरिक लाभों का उपयोग कर सके।

संघर्ष के सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

इस क्षेत्र में होने वाली हिंसा ने न केवल वहां की सामाजिक संरचना को प्रभावित किया है, बल्कि इसके राजनीतिक और प्रशासनिक निहितार्थ भी दिखाई दे रहे हैं। कुकी समुदाय द्वारा जिरीबाम में बंद की घोषणा इस बात का संकेत है कि इस संघर्ष को सामुदायिक और राजनीतिक समर्थन प्राप्त है, और इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को कड़े कदम उठाने होंगे।

अभी तक राज्य सरकार ने इस मामले पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। स्थानीय नागरिकों का मानना है कि जब तक दोनों समुदायों के बीच सुलह नहीं होगी और इस क्षेत्र के महत्व को ध्यान में रखते हुए कोई ठोस रणनीति नहीं बनेगी, तब तक मणिपुर में शांति कायम करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बना रहेगा।

सरकार की चुनौती और भविष्य के कदम

मणिपुर सरकार के लिए इस संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान निकालना एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ संवाद करना चाहिए और उनके मुद्दों को समझकर उन्हें संतुलित लाभ देने की व्यवस्था करनी चाहिए। इससे न केवल इलाके में शांति आएगी, बल्कि इससे अन्य समुदायों के बीच भी सौहार्द बना रहेगा।

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