Indian Navy के इतिहास में पहली बार, भाई-बहन ने एक साथ युद्धपोतों की कमान संभाली
Indian Navy के इतिहास में एक अनोखा और गर्व महसूस करने वाला पल आया है। यह पहली बार हुआ है जब एक ही समय में भाई और बहन ने भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की कमान संभाली है। कमान्डर प्रेणना देवस्थली और उनके भाई कमान्डर ईशान देवस्थली दोनों ही एक साथ अपनी-अपनी युद्धपोतों की कमान संभाल रहे हैं। यह घटना भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रही है, और यह खासतौर पर उन महिला अधिकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो सेना में अपने कदम रखने का सपना देखते हैं।
प्रेणना देवस्थली ने भारतीय नौसेना में महिला अधिकारी के रूप में इतिहास रचा
कमान्डर प्रेणना देवस्थली ने पिछले साल भारतीय नौसेना में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी, जब वह भारतीय नौसेना के युद्धपोत की कमान संभालने वाली पहली महिला अधिकारी बनीं। वर्तमान में प्रेणना INS त्रिकंत का नेतृत्व कर रही हैं, जो एक तेज़ आक्रमणक पोत (फास्ट अटैक शिप) है। यह एक बड़ी जिम्मेदारी है, जिसमें युद्धपोत को संचालन, रणनीतिक निर्णय और सैन्य अभियानों के लिए तैयार रखना होता है।
प्रेणना ने अपने कड़े प्रशिक्षण और अनुशासन से यह साबित किया है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। उनके इस योगदान को भारतीय नौसेना और समाज दोनों ही गर्व महसूस कर रहे हैं, क्योंकि उन्होंने भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी को एक नई दिशा दी है।
कमान्डर ईशान देवस्थली का भी ऐतिहासिक योगदान
वहीं, उनके भाई कमान्डर ईशान देवस्थली ने भी अपने कर्तव्यों को बखूबी निभाया है। ईशान को INS विभूति की कमान सौंपी गई है, जो एक वीर क्लास मिसाइल शिप है। INS विभूति भारतीय नौसेना के महत्वपूर्ण युद्धपोतों में से एक है, जिसे अत्याधुनिक मिसाइल प्रणालियों से लैस किया गया है। यह पोत विशेष रूप से भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा और रक्षा के लिए रणनीतिक महत्व रखता है।
ईशान के लिए यह एक बड़ा सम्मान है कि उन्हें इस पोत की कमान सौंपी गई है। INS विभूति को हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा गोवा के तटीय इलाकों में एक कार्यक्रम के दौरान देखा गया था, जब इसे समुद्र में तैनात किया गया था। ईशान इस जहाज की कमान संभालने के बाद भारतीय नौसेना की विशिष्ट और मजबूत उपस्थिति को बनाए रखने में जुटे हुए हैं।
पश्चिमी कमान के तहत दोनों भाई-बहन की कमान
कमान्डर प्रेणना और ईशान देवस्थली दोनों ही अपनी-अपनी युद्धपोतों की कमान पश्चिमी कमान के तहत संभाल रहे हैं। पश्चिमी कमान भारतीय नौसेना के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, जो समुद्र में सुरक्षा, समुद्री सीमा की रक्षा और अन्य सैन्य कार्यों की जिम्मेदारी निभाता है।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि से यह साबित होता है कि भारतीय नौसेना में भाई-बहन दोनों ही समान रूप से महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं और देश की सुरक्षा में योगदान दे रहे हैं। यह कदम भारतीय नौसेना की विविधता और समर्पण को दर्शाता है, जहां हर कोई अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभा रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भारतीय नौसेना की सराहना
7 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने INS विक्रांत का दौरा किया, जहां उन्हें भारतीय नौसेना द्वारा प्रस्तुत एक ऑपरेशनल डेमोंस्ट्रेशन देखने का अवसर मिला। इस दौरान राष्ट्रपति ने भारतीय नौसेना की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “भारतीय नौसेना के प्रमुख इकाइयाँ लंबी अवधि तक विशाल क्षेत्रों में तैनात रहती हैं, जो उनकी क्षमताओं और रणनीतिक प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं। आपके सकारात्मक, सक्रिय और त्वरित कार्यों ने समुद्र में अनगिनत जिंदगियों को बचाया है।”
राष्ट्रपति ने विशेष रूप से उस समय का उल्लेख किया जब बुल्गारिया के राष्ट्रपति ने भारतीय नौसेना का आभार व्यक्त किया था, क्योंकि भारतीय नौसेना ने एक अपहृत जहाज से बुल्गारिया के चालक दल को सुरक्षित रूप से बचाया था। यह एक और उदाहरण था कि भारतीय नौसेना न केवल देश के भीतर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी ताकत और सहायता का प्रदर्शन करती है।
भाई-बहन की कमान: एक प्रेरणा स्रोत
कमान्डर प्रेणना और ईशान देवस्थली का यह इतिहास रचने वाला कदम भारतीय सेना में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है। यह दोनों भाई-बहन भारतीय नौसेना की विविधता और समर्पण के प्रतीक हैं, जो यह दिखाते हैं कि देश की सुरक्षा में महिला अधिकारियों का भी योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर यह संदेश भी मिलता है कि भारतीय सेना में भाई-बहन भी अपनी जिम्मेदारियों को साझा करते हुए, एक साथ देश की सेवा कर सकते हैं। उनका यह उदाहरण निश्चित ही भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाएगा, जो सेना में शामिल होने का सपना देखते हैं।
नौसेना की सफलता और आगे की दिशा
भारतीय नौसेना की सफलता केवल उसके युद्धपोतों और उनके ऑपरेशनल अभियानों से नहीं मापी जाती, बल्कि उस सेना के भीतर कार्यरत अधिकारियों के समर्पण और कड़ी मेहनत से भी यह स्पष्ट होती है। प्रेणना और ईशान जैसे अधिकारी भारतीय नौसेना के मूल्य और गौरव को ऊंचा कर रहे हैं।
भारत की समुद्री सुरक्षा और रक्षा को बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना निरंतर अपने कर्मियों को नये और चुनौतीपूर्ण मिशन सौंपती है, और इस प्रक्रिया में प्रेणना एवं ईशान देवस्थली जैसे अधिकारी निश्चित रूप से एक बड़ा योगदान दे रहे हैं।