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Himachal Pradesh: शिमला के स्वामी रामकृष्ण आश्रम में हिंसा, पथराव में 5 घायल, मामला दर्ज

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Himachal Pradesh की राजधानी शिमला में स्थित स्वामी रामकृष्ण आश्रम में शनिवार रात को एक बड़े विवाद के बाद हिंसक झड़प हुई। आश्रम में प्रार्थना और ध्यान के बाद एक समूह के प्रदर्शन ने तनावपूर्ण माहौल पैदा कर दिया। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पथराव की घटनाएं सामने आईं, जिसमें 5 लोग घायल हो गए। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

क्या है पूरा मामला?

शनिवार रात, स्वामी रामकृष्ण आश्रम में प्रार्थना और ध्यान के कार्यक्रम के बाद माहौल अचानक बदल गया। आरोप है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के समर्थक आश्रम के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे और वहां पथराव किया। आश्रम प्रबंधन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता और प्रशासनिक संचालन पर कब्जा जमाने की कोशिश बताया है।

आश्रम का यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। प्रबंधन का कहना है कि धार्मिक कार्यों के लिए उन्हें आश्रम सौंपा गया था, लेकिन कुछ लोग इसे अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।

Himachal Pradesh: शिमला के स्वामी रामकृष्ण आश्रम में हिंसा, पथराव में 5 घायल, मामला दर्ज

पुलिस की प्रतिक्रिया

शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव कुमार गांधी ने घटना की पुष्टि करते हुए इस हिंसा पर चिंता व्यक्त की है। एसपी ने बताया,
“प्रार्थना और ध्यान के बाद एक समूह ने प्रदर्शन शुरू किया, जो बाद में हिंसक हो गया। एबीवीपी और बीजेपी समर्थक वहां इकट्ठा हुए थे। अचानक पथराव होने लगा, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। कुछ लोग घायल हुए हैं।”

पुलिस ने इस घटना पर तुरंत कार्रवाई करते हुए एफआईआर दर्ज की और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए टीम को तैनात किया। एसपी ने कहा कि पुलिस की टीम ने घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाली और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित की।

स्वामी रामकृष्ण आश्रम प्रबंधन का बयान

स्वामी रामकृष्ण आश्रम के सचिव तनमहिमानंद ने घटना पर गहरा दुख और चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि,
“हमने एसपी को 10 दिन पहले चेतावनी दी थी कि यहां कुछ अप्रिय घटना हो सकती है। हमने कोर्ट में भी अपनी बात रखी थी, लेकिन हमें समय नहीं मिला। जिन लोगों ने यह उत्पात मचाया, वे खुद को भक्त बताकर आए और हिंसा की। हमारा विश्वास है कि यह मामला कोर्ट में ही सुलझाया जाना चाहिए।”

सचिव ने यह भी कहा कि प्रबंधन ने शांति बनाए रखने की हर संभव कोशिश की थी, लेकिन विरोध प्रदर्शन ने स्थिति को बिगाड़ दिया।

स्थानीय प्रशासन की चुनौतियां

इस हिंसक घटना ने शिमला के प्रशासन के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। स्वामी रामकृष्ण आश्रम जैसे धार्मिक स्थल पर इस प्रकार की घटना पहली बार हुई है। पुलिस का कहना है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ समूहों ने जानबूझकर स्थिति को हिंसक बनाया।

एसपी संजीव कुमार गांधी ने बताया कि प्रशासन के लिए प्राथमिकता कानून-व्यवस्था बनाए रखना है। उन्होंने कहा,
“हम मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। आश्रम जैसी धार्मिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है।”

घायलों की स्थिति और सुरक्षा के उपाय

इस घटना में घायल हुए पांच लोगों को पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों का कहना है कि घायलों की स्थिति फिलहाल स्थिर है। पुलिस ने घटनास्थल पर अतिरिक्त बल तैनात किया है और आसपास के इलाकों में गश्त बढ़ा दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट में चल रहा मामला

स्वामी रामकृष्ण आश्रम का यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। प्रबंधन ने प्रशासनिक और संचालन से संबंधित मुद्दों पर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। आश्रम प्रबंधन ने कोर्ट से गुहार लगाई थी कि धार्मिक स्थल को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाया जाए।

राजनीतिक विवाद भी उभरा

इस घटना के बाद हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इस हिंसा के लिए एबीवीपी और बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं, बीजेपी ने आरोपों को खारिज करते हुए इसे प्रबंधन की विफलता बताया है।

आगे की कार्रवाई

पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की है। अधिकारियों का कहना है कि हिंसा में शामिल लोगों की पहचान की जा रही है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

शिमला के स्वामी रामकृष्ण आश्रम में हुई यह हिंसा न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक गंभीर घटना है। धार्मिक स्थल पर इस प्रकार की हिंसा ने शांति और सौहार्द्र को चुनौती दी है। प्रशासन को चाहिए कि वह जल्द से जल्द मामले की जांच पूरी कर दोषियों को सजा दे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

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