Uttarkashi Mosque Dispute: मामला नैनीताल हाई कोर्ट पहुंचा, मुस्लिम समुदाय ने मस्जिद की सुरक्षा की मांग की
Uttarkashi Mosque Dispute: उत्तरकाशी शहर में मस्जिद को लेकर विवाद अब नैनीताल हाई कोर्ट तक पहुंच गया है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद को अवैध घोषित किए जाने के विरोध में हाई कोर्ट में अपील दायर की है। समुदाय का कहना है कि जिस मस्जिद को अवैध घोषित किया जा रहा है, वह पूरी तरह से कानूनी है।
मुस्लिम समुदाय ने हाई कोर्ट में अपील करते हुए मस्जिद की सुरक्षा की मांग की है। इस बीच, हाल ही में विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में देवभूमि विचार मंच ने 25 नवंबर को तहसील स्तर पर एक ज्ञापन प्रदर्शन और 1 दिसंबर को महापंचायत का आह्वान किया है।
हाई कोर्ट में दायर की गई अपील
इस्तीख़ अहमद, अनवर बेग, नसीर शेख और नसीर खान, जो मुस्लिम समुदाय के सदस्य हैं, ने कहा कि उन्होंने पिछले सोमवार को नैनीताल हाई कोर्ट में अपील दायर की है। उनका कहना है कि मस्जिद को अवैध घोषित करने की कोई वजह नहीं है, क्योंकि उनके पास इस मस्जिद के मालिकाना हक को साबित करने के लिए सभी दस्तावेज मौजूद हैं। इन दस्तावेजों में भूमि रजिस्ट्री से लेकर दाखिल खारिज तक शामिल हैं, जिन्हें उन्होंने पहले जिला प्रशासन को भी सौंपा था।
मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह मस्जिद 1982 में नगर पालिका के रिकार्ड में दर्ज है, और 1986 में यह उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड में भी पंजीकृत थी, जो वर्तमान में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड, देहरादून के अधीन है। जिला प्रशासन ने भी पहले प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि यह मस्जिद सरकारी भूमि पर नहीं बनाई गई है।
विवाद की शुरुआत
संयुक्त सनातन धर्म रक्षक संघ ने वरुणावत पर्वत की तलहटी पर बनी इस मस्जिद के खिलाफ मोर्चा खोला है। संघ का कहना है कि यह मस्जिद नहीं, बल्कि एक अवैध घर है। संघ ने 24 अक्टूबर को मस्जिद के खिलाफ सार्वजनिक आक्रोश रैली का आयोजन किया था, जिसमें प्रदर्शनकारी पुलिस द्वारा तय किए गए मार्ग के बजाय दूसरे मार्ग से जाने की जिद पर अड़े हुए थे।
इस तनावपूर्ण स्थिति में पथराव और लाठीचार्ज हुआ, जिसमें 27 लोग, जिनमें 9 पुलिसकर्मी भी शामिल थे, घायल हो गए। इसके बाद, 200 अज्ञात व्यक्तियों और 8 नामित लोगों के खिलाफ दंगा भड़काने का मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने इस घटना के तीन प्रमुख आयोजकों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया था, जिन्हें बाद में जिला न्यायालय से जमानत मिल गई।
मुख्यमंत्री का बयान और विवाद की स्थिति
उत्तरकाशी के दौरे पर आए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे विवाद की जांच की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद यह विवाद थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। मस्जिद के समर्थक और विरोधी पक्ष दोनों ही अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं और स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया है।
विवाद में शामिल पक्ष और उनके तर्क
विरोधी पक्ष का मुख्य आरोप यह है कि यह मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई है और इसका निर्माण सरकारी भूमि पर हुआ है, जबकि मुस्लिम समुदाय का कहना है कि यह मस्जिद पूरी तरह से कानूनी है और इसके पास सभी आवश्यक दस्तावेज मौजूद हैं जो इसे वैध साबित करते हैं।
मुस्लिम पक्ष के अनुसार, मस्जिद को अवैध घोषित करने की कोशिश सांप्रदायिक माहौल को बढ़ावा देने वाली है, जो समाज में तनाव और विभाजन का कारण बन सकती है। उनका यह भी कहना है कि इस तरह के विवादों से धार्मिक और सांप्रदायिक सौहार्द्र पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
दूसरी ओर, विरोधी पक्ष यह आरोप लगा रहा है कि यह मस्जिद धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से एक विवादित स्थल बन चुकी है, और इसके खिलाफ जनता में आक्रोश है। उनका कहना है कि प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसे सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।
प्रशासन और सुरक्षा इंतजाम
इस विवाद के बाद, उत्तरकाशी में सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने अतिरिक्त चौकसी बरतनी शुरू कर दी है। भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके। इसके साथ ही, प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि 25 नवंबर और 1 दिसंबर को आयोजित होने वाली महापंचायतों और प्रदर्शन की निगरानी की जाए, ताकि किसी प्रकार की हिंसा या नफरत फैलाने वाली गतिविधियों से बचा जा सके।
हाई कोर्ट की भूमिका
नैनीताल हाई कोर्ट में दायर की गई अपील इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कोर्ट के निर्णय के बाद ही मस्जिद की स्थिति को लेकर स्पष्टता आएगी, और यह तय होगा कि मस्जिद को अवैध घोषित किया जा सकता है या नहीं। इस निर्णय से अन्य मस्जिदों और धार्मिक स्थलों के संबंध में भी कुछ दिशा-निर्देश मिल सकते हैं।
क्या प्रभाव पड़ सकता है?
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के विवाद समाज में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा सकते हैं, जिससे पूरे क्षेत्र का सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यदि विवाद का समाधान उचित तरीके से नहीं किया गया तो यह एक लंबे समय तक चलने वाला मुद्दा बन सकता है।
इसके अलावा, ऐसे मामलों से समाज में धार्मिक और सांप्रदायिक असहमति की गहरी खाई उत्पन्न हो सकती है, जो देश की सांप्रदायिक सद्भावना को कमजोर कर सकती है। ऐसे में प्रशासन और न्यायपालिका की यह जिम्मेदारी है कि वे इन विवादों को शांति और न्याय के साथ सुलझाएं।
उत्तरकाशी मस्जिद विवाद एक संवेदनशील मामला बन चुका है, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों के बीच तनाव बढ़ सकता है। इस विवाद का समाधान पारदर्शिता, निष्पक्षता और संवेदनशीलता से किया जाना चाहिए ताकि समाज में शांति और सामंजस्य बना रहे। इस मामले में नैनीताल हाई कोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण होगा और उम्मीद की जाती है कि यह निर्णय सभी पक्षों के लिए न्यायपूर्ण और संतुलित होगा।