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Uttarakhand में मोती पालन, डिजाइनर मोतियों का नया कारोबार, अब दक्षिणी राज्यों में चमकेंगे

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Uttarakhand: उत्तराखंड में अब एक नया और अनोखा कारोबार शुरू हुआ है, जो मोती पालन के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। पहली बार राज्य में डिजाइनर मोतियों का उत्पादन किया जा रहा है। इसके लिए, मत्स्य पालन विभाग की सहायता से, एक किसान ने एक बीघा भूमि पर एक तालाब तैयार किया और उसमें सीपों को पालकर डिजाइनर मोतियों का उत्पादन शुरू किया। इन मोतियों को अब वाराणसी की एक फर्म के माध्यम से दक्षिणी राज्यों में बेचा जाएगा। यह पहल उत्तराखंड में मोती पालन की एक नई दिशा की शुरुआत हो सकती है।

कैलिनगर में शुरू हुआ मोती पालन

कैलिनगर, जो कि उत्तराखंड के तराई क्षेत्र के गदरपुर विकास खंड में स्थित एक छोटा सा गांव है, यहाँ से मोती पालन की शुरुआत हुई है। जब सीप पालन के किसान बलवीर सिंह खाती ने मोती पालन में रुचि दिखाई, तो विभाग ने उनके साथ मिलकर एक बीघा भूमि पर एक तालाब तैयार किया और मोती पालन की प्रक्रिया शुरू की। वर्तमान में उत्तराखंड में कहीं भी मोती पालन नहीं हो रहा था, लेकिन इस पहल ने एक नई शुरुआत की है। किसान बलवीर सिंह खाती ने आठ लाख रुपये का निवेश करके तालाब में लगभग दस हजार सीप डाले हैं, जिनसे करीब 20 हजार डिजाइनर मोतियों का उत्पादन होने की संभावना है।

Uttarakhand में मोती पालन, डिजाइनर मोतियों का नया कारोबार, अब दक्षिणी राज्यों में चमकेंगे

सीपों की देखभाल के लिए विशेषज्ञों की तैनाती

सीपों के पालन की प्रक्रिया में सफलता के लिए, बलवीर सिंह खाती ने तीन विशेषज्ञों को तालाब पर तैनात किया है। ये विशेषज्ञ सीपों की देखभाल करते हैं और उन्हें चार महीने तक उचित देखरेख और ध्यान देते हैं। इस समय के दौरान सीपों से मोतियों का निर्माण होता है। पिछले कुछ महीनों में, खाती ने पांच हजार डिजाइनर मोतियों का उत्पादन किया है और उन्हें वाराणसी की एक फर्म को बेच दिया है।

मोती कैसे बनते हैं?

मोती के निर्माण की प्रक्रिया में सबसे पहले सीप में एक नाभिक डाला जाता है। इसके बाद, सीप इस नाभिक के चारों ओर कैल्शियम कार्बोनेट की परत जमा करता है। लगभग 18 महीनों के बाद, इस परत से मोती का निर्माण होता है। फिर इन मोतियों को सीप से निकाला जाता है और उन्हें चमकदार और आकर्षक बनाने के लिए पॉलिश किया जाता है।

मोती पालन में लाभ

यह मोती पालन व्यवसाय केवल उत्तराखंड के किसानों के लिए ही लाभकारी नहीं है, बल्कि इससे राज्य के अर्थव्यवस्था में भी एक नया मोड़ आ सकता है।

  • प्रति सीप से 2 से 4 मोती: प्रत्येक सीप से 2 से 4 मोती का उत्पादन हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, दस हजार सीपों से लगभग 20 हजार मोतियों का उत्पादन हो सकता है।
  • मूल्य और मुनाफा: प्रत्येक मोती का मूल्य लगभग 100 रुपये है, जिसका मतलब है कि इन 20 हजार मोतियों की कुल कीमत करीब 20 लाख रुपये होगी। इस हिसाब से किसान बलवीर सिंह खाती को आठ लाख रुपये के निवेश पर लगभग 12 लाख रुपये का शुद्ध लाभ होगा।

मोती के डिजाइन

इन मोतियों का उत्पादन केवल सामान्य मोतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इन्हें डिजाइनर रूप में भी तैयार किया जा रहा है। मोतियों को भगवान श्री Sai Baba, भगवान गणेश, ओम, क्रिश्चियन क्रॉस और स्वस्तिक जैसे प्रतीकों के रूप में तैयार किया जा रहा है। ये डिजाइनर मोती न केवल धार्मिक आस्थाओं से जुड़े हैं, बल्कि आभूषणों के रूप में भी इनकी बहुत मांग है। इन मोतियों को तैयार करने के बाद, वे वाराणसी की फर्म को कच्चे माल के रूप में बेचे जाते हैं, जहाँ से इन्हें और आकर्षक बनाने के बाद बिक्री के लिए बाजार में भेजा जाता है।

मोती पालन की प्रक्रिया

मोती पालन की प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण कदम होते हैं:

  1. सीप का पालन: सीपों को तालाब में पाला जाता है, जहाँ उन्हें पानी में स्वाभाविक रूप से पाई जाने वाली शैवाल (आल्गी) से भोजन मिलता है।
  2. फूड सप्लाई: सीपों को शैवाल खाने के लिए गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है, जिससे तालाब में शैवाल का निर्माण होता है।
  3. सर्जरी और देखभाल: तीन सर्जरी विशेषज्ञ तालाब में सीपों की देखभाल करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि वे अच्छे से बढ़ें और मोतियों का निर्माण करें।
  4. मोती का संग्रहण: लगभग 18 महीने बाद, जब मोतियों का निर्माण पूरा हो जाता है, तो इन्हें सीपों से निकालकर सही तरीके से संसाधित किया जाता है।

प्रशिक्षण की पहल

उत्तराखंड के अन्य मछुआरों को भी मोती पालन के इस व्यवसाय में शामिल करने के लिए, बलवीर सिंह खाती द्वारा बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य है कि राज्य के अन्य किसान या गरीब किसान भी मोती पालन के माध्यम से अपनी आजीविका मजबूत कर सकें।

उत्तराखंड में मोती पालन का व्यवसाय न केवल कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि यह राज्य के आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभा सकता है। इस व्यवसाय में निवेश से किसानों को अच्छा मुनाफा होगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। साथ ही, इस व्यवसाय से जुड़े डिजाइनर मोतियों की बढ़ती मांग के कारण उत्तराखंड के मोती अब दक्षिणी राज्यों में भी लोकप्रिय हो सकते हैं।

यह पहल राज्य के विकास में एक नई दिशा का संकेत दे रही है और अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा भी है।

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