अपराध

Noida Sector-63 पुलिस और साइबर रेस्पॉन्स टीम ने फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया

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Noida Sector-63 पुलिस और साइबर रेस्पॉन्स टीम (CRT) ने एक बड़े फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश किया है, जो “इंस्टा सॉल्यूशन” नाम से चलाया जा रहा था। इस कॉल सेंटर के माध्यम से विदेशी नागरिकों को अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट और लोन प्रोसेसिंग सेवाओं के प्रतिनिधि बनकर ठगा जा रहा था। इस छापेमारी में कुल 76 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 67 पुरुष और 9 महिलाएँ शामिल हैं।

कैसे चलता था फर्जीवाड़ा

आरोपी अमेज़न पार्सल, टैक्स सपोर्ट और पे-डे लोन प्रोसेसिंग के नाम पर फर्जी मैसेज लिंक और कॉल के जरिए लाखों रुपये की ठगी करते थे। छापेमारी के दौरान आरोपियों से 58 लैपटॉप, एक एप्पल मैकबुक, 45 लैपटॉप चार्जर, दो राउटर, 45 हेडफोन, 24 मोबाइल फोन और अन्य सामान बरामद किया गया।

पुलिस और साइबर टीम का ऑपरेशन

पुलिस और साइबर रेस्पॉन्स टीम ने स्थानीय खुफिया जानकारी और गोपनीय सूचना के आधार पर इस फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया। मुख्य आरोपी कुरुनाल राय, सादिक, और सौरभ राजपूत पहले भी गुजरात पुलिस द्वारा इन्हीं प्रकार के फर्जीवाड़ों के लिए जेल भेजे जा चुके हैं। उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में अधिक जानकारी जुटाई जा रही है।

Noida Sector-63 पुलिस और साइबर रेस्पॉन्स टीम ने फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया

ठगी के तरीके

पहला तरीका: तकनीकी सहायता के नाम पर ठगी

आरोपियों ने पूछताछ के दौरान बताया, “हम मिलकर विदेशी नागरिकों को अमेज़न सपोर्ट, माइक्रोसॉफ्ट और टेक सपोर्ट के नाम पर ठगते थे। यह कॉल सेंटर कुरुनाल राय, सौरभ, सादिक और साजिद अली द्वारा मिलकर चलाया जा रहा था।”

वे ग्राहकों का निजी डेटा Skype ऐप के माध्यम से खरीदते थे और भुगतान अमेरिकी डिजिटल मुद्रा (USDT) में करते थे। इसके बाद, वे पीड़ितों के कंप्यूटर की स्क्रीन को नीला कर देते थे, जिस पर एक नंबर दिखाई देता था। इस नंबर पर पीड़ित जब कॉल करता, तो कॉल सेंटर के लोग उसे माइक्रोसॉफ्ट अधिकारी बनकर जवाब देते। पीड़ित की समस्या को हल करने के लिए वे 99 डॉलर या अधिक की राशि मांगते थे। पैसा प्राप्त होने के बाद, वे पीड़ित को एक कमांड बताते, जिससे उसका कंप्यूटर ठीक हो जाता।

दूसरा तरीका: लोन प्रक्रिया के नाम पर ठगी

इस प्रक्रिया में, आरोपियों ने बताया, “हम Skype ऐप के जरिए अमेरिकी नागरिकों का डेटा प्राप्त करते थे, जिसमें उनकी लोन एप्लीकेशन की जानकारी होती थी। इसके बाद, हम फर्जी मैसेज भेजते, जिसमें लोन से संबंधित जानकारी होती थी। जो व्यक्ति लोन में रुचि दिखाता, उससे 100-500 डॉलर की राशि मांगी जाती। भुगतान न करने पर, हम उसे एक फर्जी चेक भेजते थे, जिसे वह बैंक में जमा करता था। अगर बैंक उसे पैसा देता, तो वह पैसा हमारे खाते में ट्रांसफर हो जाता। अगर बैंक चेक पकड़ लेता, तो पीड़ित का बैंक खाता फ्रीज हो जाता।”

तीसरा तरीका: अमेज़न पार्सल के नाम पर ठगी

आरोपियों ने यह भी बताया कि “अमेज़न प्रक्रिया के तहत हम Skype के जरिए डेटा प्राप्त करते थे और विदेशी ग्राहकों को एक वॉयस नोट भेजते थे। वॉयस नोट में बताया जाता था कि उनका पार्सल डिलीवरी के लिए तैयार है। अगर उन्होंने वह पार्सल ऑर्डर नहीं किया है, तो उनका अकाउंट हैक हो गया है। ग्राहक डर जाता था और हमसे नया अमेज़न अकाउंट बनाने के लिए डॉलर में भुगतान करता था।”

मुख्य आरोपी और उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि

इस फर्जी कॉल सेंटर के मुख्य आरोपी कुरुनाल राय, सादिक, सौरभ राजपूत और साजिद अली हैं। इनका इतिहास आपराधिक गतिविधियों से भरा हुआ है। गुजरात पुलिस ने भी इन्हें पहले गिरफ्तार किया था। अब नोएडा पुलिस उनकी गतिविधियों की पूरी जांच कर रही है।

बरामद सामान

पुलिस ने छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में तकनीकी उपकरण जब्त किए हैं। इनमें 58 लैपटॉप, एक एप्पल मैकबुक, 45 लैपटॉप चार्जर, दो राउटर, 45 हेडफोन, 24 मोबाइल फोन शामिल हैं। इसके अलावा, फर्जी कॉल्स और मैसेज भेजने के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य उपकरण भी बरामद किए गए हैं।

पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की योजना

पुलिस और साइबर रेस्पॉन्स टीम ने स्थानीय खुफिया जानकारी और तकनीकी साधनों का उपयोग करके यह कार्रवाई की। पुलिस का कहना है कि ऐसे फर्जी कॉल सेंटरों पर नकेल कसने के लिए और अधिक कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठगी रोकने के लिए अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय किया जाएगा।

नोएडा के नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह

नोएडा पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे ऐसे किसी भी कॉल या मैसेज से सतर्क रहें, जिसमें व्यक्तिगत जानकारी या पैसे की मांग की जाए।

नोएडा सेक्टर-63 पुलिस और साइबर रेस्पॉन्स टीम की इस कार्रवाई ने एक बड़े फर्जीवाड़े को उजागर किया है। इस तरह के कॉल सेंटर न केवल लोगों के पैसे बल्कि उनकी गोपनीयता को भी खतरे में डालते हैं। नागरिकों को सतर्क रहकर ऐसे फर्जीवाड़ों से बचने की आवश्यकता है। पुलिस की इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया है कि तकनीकी और खुफिया साधनों का सही उपयोग करके अपराध पर नकेल कसी जा सकती है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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