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‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू : छद्म साधुओं पर कसेगा शिकंजा

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आस्था के नाम पर पाखंड बर्दाश्त नहीं: धामी

देहरादून। उत्तराखंड में सनातन धर्म की आड़ में लोगों को ठगने और उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ अब कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे छद्म साधु-संतों पर शिकंजा कसें और किसी को भी बख्शा न जाए।

प्रदेश में कई मामले सामने आए हैं, जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का वेश धारण कर विशेषकर महिलाओं को ठगने और लोगों को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। इससे न केवल लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, बल्कि समाज में सौहार्द और सनातन परंपरा की छवि भी धूमिल हो रही है। सरकार ने कहा है कि ठीक वैसे ही जैसे असुर कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की थी, वैसे ही आज समाज में कई “कालनेमि” सक्रिय हैं।

जो भी व्यक्ति धार्मिक वेशभूषा में अपराध करते पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने स्पष्ट किया कि वह जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा और सामाजिक सौहार्द की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने और ठगी करने वालों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। कालनेमि, हिंदू पौराणिक कथाओं में एक शक्तिशाली असुर (राक्षस) था। वह रामायण में एक महत्वपूर्ण पात्र है, जहां उसे रावण के मामा मारीच का पुत्र और रावण का सहायक बताया गया है। कालनेमि को हनुमान को रोकने और मारने के लिए रावण द्वारा भेजा गया था, जब हनुमान संजीवनी बूटी लाने जा रहे थे।

कालनेमि रामायण में एक मायावी राक्षस के रूप में वर्णित है, जो रावण का मामा था और रावण के कहने पर हनुमान को रोकने के लिए माया का उपयोग करता है। जब हनुमान संजीवनी बूटी लेने जा रहे थे, तो कालनेमि ने साधु का भेष धारण करके हनुमान को रोकने की कोशिश थी। हनुमान ने कालनेमि के छल को पहचान लिया और उसे मार डाला। कुछ संस्करणों में, कालनेमि को कंस के रूप में भी दर्शाया गया है, जिसे कृष्ण ने मार डाला था कुछ मान्यताओं के अनुसार, कालनेमि का पुनर्जन्म कंस के रूप में हुआ था, जो कृष्ण द्वारा मारा गया। कुछ कथाओं में, कालनेमि को कलियुग का अवतार भी माना जाता है, जो नारायण (विष्णु) के कल्कि अवतार से प्रतिशोध लेने के लिए आया है।

मायावी शक्ति: कालनेमि को मायावी शक्तियों के लिए जाना जाता था, जिसका उपयोग उसने हनुमान को धोखा देने के लिए किया था। वह एक शक्तिशाली असुर था जो रावण के दरबार में एक प्रमुख मंत्री था। कालनेमि का चरित्र अच्छे और बुरे के बीच शाश्वत संघर्ष का प्रतीक है। वह अधर्म का प्रतिनिधित्व करता है और उसका संघर्ष धर्म के साथ है। इस प्रकार, कालनेमि एक महत्वपूर्ण पौराणिक पात्र है जो हिंदू धर्म में विभिन्न कथाओं और रूपांतरणों में पाया जाता है, और अच्छे और बुरे के बीच संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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