Uttarkashi News: उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर विवाद, अधूरी जानकारी से बढ़ी घमासान, इंटरनेट मीडिया पर बवाल

Uttarkashi News: उत्तराखंड में मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद हाल के दिनों में काफी गर्मा गया है। मस्जिद की वैधता और अवैधता को लेकर इंटरनेट मीडिया पर भी तीखी बहस छिड़ी हुई है। इस विवाद ने तब और जोर पकड़ा जब जिला प्रशासन ने ‘सूचना का अधिकार’ (RTI) के तहत मस्जिद के बारे में अधूरी जानकारी प्रदान की।
दिया गया अधूरी जानकारी
जिला प्रशासन द्वारा दिए गए अधूरे जवाब ने विवाद को बढ़ा दिया है। हिंदू संगठनों ने इस जानकारी के आधार पर मस्जिद को अवैध करार देते हुए 6 सितंबर को विरोध प्रदर्शन किया। इन संगठनों का कहना है कि मस्जिद का निर्माण अवैध भूमि पर हुआ है, जबकि प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, उक्त भूमि पर कोई आधिकारिक रजिस्ट्रेशन नहीं है।
हिंदू संगठनों का विरोध
जिला जन सूचना अधिकारी द्वारा अगस्त में यह जानकारी दी गई थी कि ‘नजूल मुक्त, पट्टा आवंटन से संबंधित रिकॉर्ड्स के अनुसार, मौजा बहरात नगर क्षेत्र में मस्जिद के नाम पर कोई भूमि स्वीकृत और फ्रीहोल्ड रजिस्टर नहीं है।’ इस सूचना के आधार पर हिंदू संगठनों ने मस्जिद को हटाने की मांग की। विवाद बढ़ते ही जिला प्रशासन ने अपने दस्तावेजों की जांच की और पाया कि जिस भूमि पर मस्जिद बनी है, वह भूमि खाताधारकों के नाम पर पंजीकृत है।
जिला प्रशासन का बयान
जिला मजिस्ट्रेट डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने बताया कि मस्जिद के निर्माण की भूमि पर रजिस्ट्री और म्यूटेशन है। यह भूमि दस खाताधारकों के नाम पर पंजीकृत है। इसके अतिरिक्त, 2005 में तहसीलदार भटवाड़ी द्वारा एक आदेश में उल्लेखित किया गया है कि उक्त भूमि पर मस्जिद का निर्माण किया गया है। मस्जिद का उल्लेख उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड में भी किया गया है और इस संबंध में फाइलें भी देखी जा रही हैं। साथ ही, RTI आवेदक को विस्तृत जानकारी भेजी जा रही है।
मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया
गुरुवार को, मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने जिला मजिस्ट्रेट के पास एक ज्ञापन प्रस्तुत किया और शहर की शांति और भाईचारे को बिगाड़ने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में दखिल खारिज, खाता खसरा, गजट प्रकाशन और सुन्नी वक्फ की सूचियाँ शामिल की गईं। ज्ञापन प्रस्तुत करने वाले इसतियाक अहमद ने बताया कि 20 मई 1987 को बारहत मस्जिद उत्तरकाशी की सूचना सुन्नी वक्फ की अनुसूची में दर्ज है। मस्जिद का निर्माण और भूमि किसी भी तरह से अवैध नहीं है। कुछ संगठन झूठी अफवाहें फैला रहे हैं कि मस्जिद अवैध है।
पुलिस और खुफिया विभाग की चौकसी
शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और खुफिया विभाग सक्रिय हैं। इस मुद्दे को लेकर शांति बनाए रखने की कोशिशें की जा रही हैं ताकि कोई बड़ा विवाद या हिंसा की स्थिति न उत्पन्न हो।
विवाद की जड़ें और भविष्य
इस विवाद की जड़ें मस्जिद की भूमि के अधिकार और पंजीकरण से जुड़ी हैं। हिंदू संगठनों और मुस्लिम समुदाय के बीच बढ़ते तनाव ने इस मुद्दे को और भी जटिल बना दिया है। अब सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन द्वारा दी गई नई जानकारी इस विवाद को शांत कर पाएगी या फिर यह मुद्दा और भी बढ़ेगा।
निष्कर्ष
उत्तरकाशी में मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद कई पक्षों की जटिलताओं को दर्शाता है। अधूरी जानकारी और उसके बाद के विरोध प्रदर्शन ने इस मुद्दे को बढ़ावा दिया है। जिला प्रशासन की नई जानकारी से स्थिति स्पष्ट हो सकती है, लेकिन इसके बावजूद शांति और भाईचारे को बनाए रखना एक चुनौती बनेगा। सभी पक्षों को सच्चाई और कानून के आधार पर समाधान की दिशा में काम करना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार का अस्थिरता या संघर्ष उत्पन्न न हो।






