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Rudraprayag: तुंगनाथ से दिल्ली तक हरेला मैराथन दौड़, लोगों ने लोक त्योहार को राष्ट्रीय त्योहार घोषित करने की माँग की

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Rudraprayag: उत्तराखंड के तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर से दिल्ली तक की 500 किमी हरेला मैराथन दौड़ शुरू हो गई है। इस दौड़ का मुख्य उद्देश्य देवभूमि उत्तराखंड के लोक त्योहार हरेला को राष्ट्रीय त्योहार घोषित कराना है। इस मैराथन में उत्तराखंड की उड़नपरी भागीरथी बिष्ट, सिरमौर की चीता और अंतरराष्ट्रीय एथलीट सुनील शर्मा समेत कई प्रसिद्ध खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं।

Rudraprayag: तुंगनाथ से दिल्ली तक हरेला मैराथन दौड़, लोगों ने लोक त्योहार को राष्ट्रीय त्योहार घोषित करने की माँग की

हरेला मैराथन का उद्देश्य

हरेला पर्व उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण लोक त्योहार है, जो हर साल जून-जुलाई के बीच मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से जंगल और प्रकृति के संरक्षण के लिए मनाया जाता है और स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। इस बार, इस पर्व को एक राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए, आयोजकों ने एक लंबी मैराथन दौड़ का आयोजन किया है, जिसका लक्ष्य इस त्योहार को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाना है।

दौड़ की शुरुआत और मार्ग

इस मैराथन दौड़ की शुरुआत 19 सितंबर को तुंगनाथ मंदिर से हुई। तुंगनाथ, जो पंच केदारों में तीसरा केदार है, से लेकर रुद्रप्रयाग तक का मार्ग इस दौड़ का पहला चरण था। इस दौरान, मैराथन को चोपता, मक्कुमथ और बानियाकुंड से होते हुए रुद्रप्रयाग पहुँचा। पहले दिन के इस चरण को पूरा करने के बाद, दौड़ अगले चरण के लिए तैयार हो गई है।

दौड़ का कार्यक्रम

हरेला मैराथन के आयोजनकर्ता अभिषेक मैठानी ने बताया कि दौड़ का कार्यक्रम निम्नलिखित है:

  • 20 सितंबर: रुद्रप्रयाग से देवप्रयाग तक
  • 21 सितंबर: देवप्रयाग से ऋषिकेश तक
  • 22 सितंबर: ऋषिकेश से रामपुर-तिराह, मुजफ्फरनगर तक
  • 23 सितंबर: रामपुर-तिराह से मेरठ तक
  • 24 सितंबर: मेरठ से नई दिल्ली, गढ़वाल भवन तक

इस यात्रा के दौरान, प्रतिभागी विभिन्न स्थानों पर रुकेंगे और हरेला पर्व के महत्व को उजागर करेंगे। हर पड़ाव पर स्थानीय लोगों, संगठनों और मीडिया से संपर्क किया जाएगा ताकि इस पर्व के महत्व को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके।

हरेला पर्व की महत्वता

हरेला पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व विशेष रूप से फसल की शुरुआत के समय मनाया जाता है और इसे प्रकृति की पूजा के रूप में देखा जाता है। हरेला का मतलब होता है “हरेला”, जिसमें हरेला के पौधे लगाए जाते हैं और घर के आंगन में हरियाली बढ़ाने की कोशिश की जाती है। यह त्योहार पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण के महत्व को भी दर्शाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन

इस मैराथन दौड़ का मुख्य उद्देश्य हरेला पर्व को राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मान्यता दिलाना है। इसके लिए एक ज्ञापन तैयार किया गया है, जिसे नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा। इस ज्ञापन में हरेला पर्व के महत्व, इसके सांस्कृतिक और पर्यावरणीय लाभों को स्पष्ट किया जाएगा।

लोगों की प्रतिक्रिया

हरेला मैराथन को लेकर स्थानीय लोगों और भाग लेने वाले एथलीटों में उत्साह का माहौल है। उत्तराखंड की “उड़नपरी” भागीरथी बिष्ट ने इस आयोजन को लेकर कहा कि यह मैराथन न केवल हरेला पर्व के महत्व को बढ़ावा देने के लिए है, बल्कि यह उत्तराखंड की संस्कृति और धरोहर को पूरे देश में पहचान दिलाने का एक प्रयास भी है। वहीं, अन्य प्रतिभागियों ने भी इस आयोजन की सराहना की और इसे भारतीय लोक संस्कृतियों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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