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Uttarakhand: देवभूमि में गूंजेगी देववाणी, सरकार ने आधिकारिक भाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए बनाई योजना

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Uttarakhand: उत्तराखंड को देवभूमि के रूप में जाना जाता है, और यहां की आधिकारिक भाषा देववाणी संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष योजना बनाई है। इस योजना के तहत राज्य के हर जिले में एक संस्कृत गांव को चिह्नित किया गया है, जहां दैनिक कार्यों, भाषणों और प्रतीकों में संस्कृत का प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा, संस्कृत शिक्षा की नींव को मजबूत करने के लिए प्रत्येक जिले में कक्षा 1 से 5 तक के पांच संस्कृत विद्यालय खोले जाएंगे। फिलहाल, पूरे राज्य में सिर्फ एक ही स्कूल है जहां पहली कक्षा से संस्कृत पढ़ाई जा रही है।

Uttarakhand: देवभूमि में गूंजेगी देववाणी, सरकार ने आधिकारिक भाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए बनाई योजना

सरकार की यह पहल संस्कृत भाषा को सरकारी तंत्र और आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा तैयार की गई इस कार्य योजना के तहत आगामी एक-दो वर्षों में विभिन्न चरणों में नई पहलें की जाएंगी। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति ने संस्कृत गांवों की पहचान कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है।

ये होंगे संस्कृत गांव

उत्तराखंड में प्रत्येक जिले से एक गांव को संस्कृत गांव के रूप में विकसित किया जाएगा। इस योजना के तहत देहरादून के डोईवाला ब्लॉक के भोगपुर को संस्कृत गांव के रूप में चुना गया है। इसी तरह, टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक में मुखेम, उत्तरकाशी के मोरी ब्लॉक में कोटगांव, रुद्रप्रयाग के अगस्तमुनि ब्लॉक का बैजी गांव, चमोली के कर्णप्रयाग ब्लॉक का डिम्मर गांव, पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक का गोड़ा गांव, पिथौरागढ़ के मूनाकोट ब्लॉक का उर्ग गांव, अल्मोड़ा के रानीखेत ब्लॉक का पंडेकोटा गांव, बागेश्वर का सेरी गांव, चम्पावत का खार्क कार्की गांव और हरिद्वार जिले के बहादरपुर ब्लॉक के नूरपुर और पंजनहेड़ी गांवों को संस्कृत गांव के रूप में चयनित किया गया है।

प्रत्येक जिले में खुलेंगे संस्कृत विद्यालय

सरकार की योजना के अनुसार, प्रत्येक जिले में पांच ऐसे संस्कृत विद्यालय खोले जाएंगे जहां पहली कक्षा से पांचवीं तक संस्कृत की शिक्षा दी जाएगी। इसका उद्देश्य है कि हर ब्लॉक में कम से कम एक संस्कृत प्रवेशिका (विद्यालय) स्थापित हो। वर्तमान में, इस योजना के तहत देहरादून से चार और हरिद्वार से एक प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। अन्य जिलों से भी प्रस्ताव आने की प्रक्रिया चल रही है। राज्य में 100 से अधिक संस्कृत विद्यालय और महाविद्यालय हैं, जिनमें कक्षा 6 से शिक्षा प्रदान की जा रही है।

संस्कृत के साथ विज्ञान और गणित की भी पढ़ाई

संस्कृत भाषा के साथ ही छात्रों को अन्य प्रमुख विषयों की शिक्षा भी दी जाएगी ताकि वे केवल संस्कृत तक सीमित न रहें। अगले सत्र से इन विद्यालयों में गणित, विज्ञान, और जीवविज्ञान जैसे प्रमुख विषयों का भी अध्ययन कराया जाएगा। इसके साथ ही, संस्कृत विद्यालयों में वैदिक गणित की पढ़ाई भी शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। यह पहल छात्रों को बहुविषयक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की जा रही है, जिससे वे संस्कृत के साथ अन्य क्षेत्रों में भी दक्षता प्राप्त कर सकें।

सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए संस्कृत शिविर

संस्कृत को आम जनता और सरकारी अधिकारियों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए सरकार संस्कृत संवाद शिविर शुरू करने जा रही है। इन शिविरों का आयोजन पहले चरण में सचिवालय, विधानसभा, मुख्यमंत्री कार्यालय और राजभवन सचिवालय में किया जाएगा। प्रत्येक शिविर 15 दिनों का होगा, जिसमें सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को संस्कृत की मूलभूत जानकारी और संवाद के तरीके सिखाए जाएंगे। इसके बाद, इन शिविरों को अन्य सरकारी संस्थानों में भी शुरू किया जाएगा।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य है कि सरकारी तंत्र में संस्कृत का उपयोग बढ़े और अधिकारी संस्कृत में संवाद करने में सक्षम हो सकें। संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रुचि बढ़ाने और इसके प्रभावी उपयोग के लिए यह कदम महत्वपूर्ण है।

संस्कृत को बढ़ावा देने की दिशा में आगे की योजनाएँ

संस्कृत शिक्षा विभाग के सचिव दीपक कुमार के अनुसार, आगामी एक-दो वर्षों में संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में और भी नए प्रयास किए जाएंगे। संस्कृत को सिर्फ धार्मिक या शास्त्रीय भाषा तक सीमित न रखकर इसे सरकारी और सार्वजनिक जीवन में एक जीवंत भाषा के रूप में स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि संस्कृत न केवल शैक्षणिक संस्थानों में बल्कि आम लोगों के दैनिक जीवन में भी शामिल हो।

इसके अलावा, संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न कार्यशालाएँ, संगोष्ठियाँ और संवाद शिविर आयोजित किए जाएंगे। संस्कृत भाषा को आधुनिक संदर्भ में ढालने के लिए डिजिटल माध्यमों का भी उपयोग किया जाएगा। ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से संस्कृत सीखने की सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी, जिससे अधिक से अधिक लोग इस भाषा को सीख सकें।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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