Census in India: अगले साल से शुरू होगी प्रक्रिया, धर्म से जुड़ी जानकारी का भी होगा समावेश

Census in India: भारत में हर 10 साल में होने वाली जनगणना की प्रक्रिया में एक बड़ा अपडेट सामने आया है। केंद्रीय सरकार ने घोषणा की है कि अगले साल यानी 2025 से भारत में जनगणना की प्रक्रिया शुरू होगी। इस जनगणना का कार्य पूरा करने के लिए एक वर्ष, यानी 2026 का समय निर्धारित किया गया है। इसके बाद, भारत में अगली जनगणना 2035 में आयोजित की जाएगी। यह चक्र कोविड महामारी के कारण बाधित हुआ था, जबकि पहले जनगणना का कार्य 1991, 2001, 2011 में सफलतापूर्वक किया गया था।
कोविड के कारण चक्र में बदलाव
महामारी के कारण जनगणना के कार्य में देरी हुई, जिससे यह प्रक्रिया समय पर संपन्न नहीं हो सकी। लेकिन अब, सरकार ने सुनिश्चित किया है कि जनगणना की प्रक्रिया नियमित रूप से चलती रहेगी। अगली जनगणना 2025 में होगी, इसके बाद 2035 में और फिर 2045, 2055 में आयोजित की जाएगी। यह चक्र अब स्थिर होगा और समय पर पूरा किया जाएगा।
धर्म से जुड़ी जानकारी का समावेश
इस बार जनगणना में एक नया पहलू जुड़ने जा रहा है। अब सरकार नागरिकों से उनके धर्म के बारे में भी पूछने की योजना बना रही है। पहले जनगणना में सामान्य, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की संख्या की गणना की जाती थी, लेकिन इस बार सरकार धर्म और वर्ग के साथ-साथ यह भी जानना चाहती है कि लोग किस संप्रदाय में विश्वास करते हैं। जैसे कि अनुसूचित जातियों में कई अलग-अलग संप्रदाय जैसे वाल्मीकि, रविदासी आदि होते हैं।
इससे न केवल विभिन्न धार्मिक समुदायों की संरचना को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि यह भी स्पष्ट होगा कि देश के विभिन्न धार्मिक समूहों की आवश्यकताएं क्या हैं। सरकार का मानना है कि धर्म से संबंधित डेटा सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है और इससे विभिन्न धार्मिक समूहों की जरूरतों को समझने में मदद मिलेगी।
डिजिटल माध्यम से जनगणना का कार्य
इस बार देश में पहली बार जनगणना डेटा डिजिटल रूप से एकत्र किया जाएगा। सरकार ने इसके लिए एक विशेष पोर्टल तैयार किया है, जिससे नागरिक आसानी से अपनी जानकारी साझा कर सकेंगे। इस पोर्टल में जाति आधारित जनगणना डेटा के लिए भी प्रावधान किए जा रहे हैं।
हालांकि, केंद्रीय सरकार ने अभी तक जाति आधारित जनगणना को लेकर औपचारिक निर्णय नहीं लिया है, लेकिन भविष्य को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि जनगणना को बहुआयामी, भविष्यदृष्टा और सभी को शामिल करने वाली प्रक्रिया बनाया जाएगा।
विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों की प्रतिक्रियाएं
इस कदम पर विभिन्न राजनीतिक और सामाजिक समूहों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं। कुछ लोग इसे सकारात्मक मान रहे हैं, क्योंकि इससे विभिन्न समुदायों की सही संख्या और उनकी जरूरतों का आकलन किया जा सकेगा। वहीं, कुछ लोग इसे विवादास्पद मानते हैं, उनका मानना है कि इससे सामाजिक विभाजन बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह जनगणना भारत की विविधता को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। धार्मिक, जातीय और सांस्कृतिक विविधताओं का सही आंकड़ा सरकार को विकास योजनाओं के निर्माण में मदद करेगा।
अंत में, भारत में जनगणना की प्रक्रिया का आरंभ होना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल सरकारी नीतियों को बेहतर बनाने में मदद करेगा, बल्कि विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों की जरूरतों को भी ध्यान में रखेगा। हालांकि, यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि इस प्रक्रिया में नागरिकों की व्यक्तिगत गोपनीयता का सम्मान किया जाए और उन्हें सही तरीके से जानकारी साझा करने के लिए प्रेरित किया जाए।
इस जनगणना के माध्यम से, भारत के विभिन्न समुदायों की स्थिति, उनकी आवश्यकताएं और उनके योगदान को सही ढंग से समझा जा सकेगा, जो अंततः देश के विकास में सहायक होगा।