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Uttarakhand का लोक महोत्‍सव ‘इगास बगवाल’,  प्रधानमंत्री मोदी ने किया इगास पर्व का सम्‍मान, अनिल बलूनी के घर पर गाय पूजा और दीप जलाए

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Uttarakhand: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली स्थित राज्‍यसभा सांसद और भाजपा के मुख्‍य राष्ट्रीय प्रवक्‍ता अनिल बलूनी के निवास पर इगास (बूढ़ी दीवाली) महोत्‍सव को धूमधाम से मनाया। इस दौरान, प्रधानमंत्री ने योग गुरु बाबा रामदेव और परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती के साथ मिलकर गाय पूजा की और पवित्र अग्नि प्रज्वलित की। इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल समेत कई विशिष्ट हस्तियां भी उपस्थित थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस इगास-बगवाल कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें इंस्टाग्राम पर भी साझा की।

इगास बगवाल पर्व का महत्व

इगास पर्व, जिसे ‘बूढ़ी दीवाली’ भी कहा जाता है, दीपावली के 11 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन, विशेष रूप से उत्तराखंड में लोग अपने घरों को दीपों से सजाते हैं और यह पर्व मुख्य रूप से घर में खुशहाली, समृद्धि और सुख-शांति की कामना के लिए मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनमें प्रमुख मान्यता यह है कि जब भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या लौटे, तो उन्‍हें घर-घर दीपों से स्वागत किया गया।

Uttarakhand का लोक महोत्‍सव 'इगास बगवाल',  प्रधानमंत्री मोदी ने किया इगास पर्व का सम्‍मान, अनिल बलूनी के घर पर गाय पूजा और दीप जलाए

अनिल बलूनी ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरणा से, उन्‍होंने इस पर्व को पुनः जीवित करने का अभियान शुरू किया था। पांच वर्षों के अथक प्रयासों के बाद यह पर्व अब केवल उत्‍तराखंड में ही नहीं, बल्कि देश और विदेश में भी मनाया जा रहा है। बलूनी ने राज्य सरकार द्वारा इगास के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का भी स्वागत किया।

प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने इगास-बगवाल महोत्‍सव पर अपने संदेश में कहा, “उत्‍तराखंड और पूरे देशवासियों को इगास पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएं। आज दिल्ली में मैं भी इस पर्व के अवसर पर अनिल बलूनी जी के घर पर शामिल हुआ। मुझे खुशी है कि इस पर्व ने अब एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा के रूप में पुनः उत्‍थान पाया है।”

प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, “हम विकास और धरोहर दोनों को साथ लेकर चलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे संतोष है कि इगास जैसे लोक पर्व, जो लगभग लुप्‍त हो गया था, वह अब उत्‍तराखंड के मेरे परिवारजनों के बीच एक आस्था का केंद्र बन चुका है।”

इगास के उत्थान में बलूनी का योगदान

अनिल बलूनी ने इस पर्व के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह पर्व कई ऐतिहासिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। सबसे प्रमुख मान्यता यह है कि जब भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी, तो उनकी अयोध्या वापसी की खबर कार्तिक शुक्ल एकादशी को गढ़वाल क्षेत्र में पहुंची। इस खबर के साथ, प्रसन्ना क्षेत्र के लोग इस दिन दीप जलाकर दीवाली का पर्व मनाते थे, जिसे बाद में इगास या बूढ़ी दीवाली के नाम से जाना गया।

बलूनी ने कहा, “यह पर्व न केवल उत्‍तराखंड में बल्कि पूरे देश और विदेश में मनाया जा रहा है। इगास के महोत्‍सव के दौरान, हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को फिर से जीवित कर रहे हैं और यही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।”

इगास पर्व का सांस्कृतिक महत्व

इगास या बूढ़ी दीवाली पर्व का सांस्कृतिक महत्व उत्‍तराखंड के लोगों के लिए बहुत गहरा है। यह पर्व केवल एक धार्मिक समारोह नहीं बल्कि उत्तराखंड की लोक संस्कृति और धरोहर का प्रतीक बन चुका है। इस दिन, गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में लोग एकजुट होते हैं, अपने घरों में दीप जलाते हैं और इस पर्व को समाज में समृद्धि, खुशी और एकता का प्रतीक मानते हैं।

इस पर्व के माध्यम से उत्तराखंड की लोक परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को सम्‍मानित किया जा रहा है। यह पर्व अब एक सांस्कृतिक आंदोलन का रूप ले चुका है, जिससे न केवल उत्तराखंड बल्कि देशभर में इसकी पहचान बन रही है।

प्रधानमंत्री का सहयोग और आशीर्वाद

प्रधानमंत्री मोदी ने इगास पर्व को पुनर्जीवित करने के लिए बलूनी के प्रयासों की सराहना की और इसे सामाजिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा, “उत्‍तराखंड के मेरे भाई-बहनों ने इस पर्व को पुनः जीवित कर एक नया उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की पुनः प्रकटता है।”

प्रधानमंत्री के इस संदेश ने इगास पर्व को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है, क्योंकि यह न केवल लोक संस्कृति को बढ़ावा देता है, बल्कि एकता, भाईचारे और सांस्कृतिक विविधता को भी सम्मानित करता है।

इगास बगवाल महोत्‍सव का आयोजन अब एक बड़े आंदोलन के रूप में आकार ले चुका है, जिससे उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं का पुनरुद्धार हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के आशीर्वाद और अनिल बलूनी के प्रयासों से यह पर्व न केवल उत्तराखंड में, बल्कि देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर पूरे देशवासियों को इगास पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं, और यह पर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लेकर आए।

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