Delhi AQI: दिल्ली की हवा में सुधार, लेकिन स्वास्थ्य पर खतरा बरकरार
Delhi AQI: सर्दियों का मौसम शुरू होते ही दिल्ली-एनसीआर में ठंड का प्रकोप बढ़ने लगता है, लेकिन इसी समय वायु प्रदूषण की समस्या भी गंभीर रूप ले लेती है। इस बार भी दिल्ली की हवा प्रदूषित हो रही है, जिससे लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। हालांकि, इस बीच दिल्ली की वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार देखने को मिला है। आज सुबह दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 302 दर्ज किया गया, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है। यह लगातार पांचवां दिन है जब दिल्ली का AQI बहुत खराब श्रेणी में दर्ज किया गया है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता की स्थिति
दिल्ली के विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक अलग-अलग स्तर पर दर्ज किया गया है। कुछ प्रमुख इलाकों का AQI इस प्रकार है:
- मुडका: 364
- आनंद विहार: 357
- जहांगीरपुरी: 354
- शादीपुर: 351
- बवाना: 341
- द्वारका: 332
- नेहरू नगर: 331
- वजीरपुर: 330
- विवेक विहार: 328
- अशोक विहार: 318
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता अभी भी बहुत खराब श्रेणी में है। हाल के दिनों में AQI 400 से ऊपर पहुंच गया था, जिसके कारण दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत चरण 4 लागू किया गया।
GRAP 4 का असर
GRAP 4 के तहत दिल्ली में निर्माण कार्यों पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई थी। साथ ही, बीएस 4 वाहनों के परिचालन पर निगरानी बढ़ाई गई। इसके अलावा, कचरा जलाने और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्त कार्रवाई की गई। इन उपायों के चलते वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन समस्या अभी भी गंभीर बनी हुई है।
वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान
हर साल सर्दियों में दिल्ली का वायु प्रदूषण गंभीर स्तर तक पहुंच जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की हवा में सांस लेना लोगों की जिंदगी के 12 साल कम कर रहा है। यह स्थिति कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली की हवा में एक दिन सांस लेना 10 सिगरेट पीने के बराबर है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं:
- सांस की समस्याएं: प्रदूषित हवा में सांस लेने से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों से जुड़ी अन्य बीमारियां बढ़ रही हैं।
- दिल से जुड़ी बीमारियां: वायु प्रदूषण का असर दिल पर भी पड़ता है। यह हृदयाघात और उच्च रक्तचाप के मामलों में वृद्धि का कारण बन रहा है।
- बच्चों पर प्रभाव: प्रदूषित हवा का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो रही है और वे जल्दी बीमार पड़ रहे हैं।
- त्वचा और आंखों की समस्याएं: प्रदूषण के कारण त्वचा पर रैशेज, खुजली और जलन जैसी समस्याएं हो रही हैं। वहीं, आंखों में जलन और लालपन की शिकायतें भी बढ़ी हैं।
प्रदूषण के मुख्य कारण
दिल्ली में वायु प्रदूषण के पीछे कई कारण हैं:
- पराली जलाना: हर साल सर्दियों के मौसम में पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है।
- वाहनों का धुआं: दिल्ली में वाहनों की बड़ी संख्या वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण है।
- निर्माण कार्य: निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल और गंदगी हवा को और प्रदूषित करती है।
- उद्योगों का धुआं: दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में चलने वाले उद्योग भी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
- कचरा जलाना: खुले में कचरा जलाने से भी वायु गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है।
वायु प्रदूषण को कम करने के उपाय
दिल्ली में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा: लोगों को निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना चाहिए।
- पराली प्रबंधन: पराली जलाने के स्थान पर उसे नष्ट करने के वैकल्पिक तरीकों को अपनाना चाहिए।
- हरित क्षेत्र बढ़ाना: अधिक पेड़ लगाने से प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
- कचरा प्रबंधन: खुले में कचरा जलाने पर रोक लगानी चाहिए और कचरे के प्रबंधन के बेहतर तरीकों को अपनाना चाहिए।
- स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग: उद्योगों और घरों में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाना चाहिए।
लोगों की भूमिका
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में केवल सरकार ही नहीं, बल्कि आम जनता की भी भूमिका होती है। लोगों को अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए, जैसे:
- कार पूलिंग का उपयोग करें।
- जरूरत न होने पर निजी वाहन का इस्तेमाल न करें।
- कचरा न जलाएं।
- घरों में एयर प्यूरिफायर का उपयोग करें।
दिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, जो हर साल सर्दियों में बढ़ जाती है। हालांकि, GRAP जैसे उपायों के कारण वायु गुणवत्ता में हल्का सुधार हुआ है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान अभी भी दूर है। इसके लिए सरकार, उद्योग और जनता को मिलकर काम करना होगा। अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो वायु प्रदूषण का असर न केवल लोगों की सेहत पर पड़ेगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर भी भारी पड़ेगा।