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Uttarakhand News: उत्तराखंड में अब लद्दाख के बाद ONGC से जियोथर्मल ऊर्जा से बिजली उत्पादन की योजना, विचार-विमर्श जारी

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Uttarakhand News: लद्दाख के बाद अब तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) उत्तराखंड में भी जियोथर्मल ऊर्जा से बिजली उत्पादन करने की योजना बना रहा है। इसके लिए कंपनी ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है, जिस पर विचार-विमर्श जारी है। इस बीच, जियोथर्मल ऊर्जा सर्वेक्षण के संबंध में आइसलैंड से हुए समझौते पर दो मंत्रालयों ने हरी झंडी दे दी है, जबकि एक मंत्रालय से अभी अनुमति का इंतजार किया जा रहा है।

उत्तराखंड में जियोथर्मल ऊर्जा के बड़े संभावनाएं

उत्तराखंड में जियोथर्मल ऊर्जा के अत्यधिक संभावनाएं हैं, और इस दिशा में कई अहम शोध कार्य भी हो चुके हैं। वाडिया इंस्टीट्यूट और गढ़वाल विश्वविद्यालय की रिसर्च से यह साफ हुआ है कि पहाड़ों की गहराई में स्थित तापमान को बिजली उत्पादन में उपयोग किया जा सकता है। इस शोध को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही है और ऊर्जा उत्पादन के इस नए तरीके को अपनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है।

Uttarakhand News: उत्तराखंड में अब लद्दाख के बाद ONGC से जियोथर्मल ऊर्जा से बिजली उत्पादन की योजना, विचार-विमर्श जारी

आइसलैंड से सहयोग और अध्ययन

हाल ही में राज्य सरकार की एक टीम आइसलैंड गई थी, जहां जियोथर्मल ऊर्जा के उपयोग पर गहन अध्ययन किया गया। आइसलैंड सरकार ने उत्तराखंड में जियोथर्मल ऊर्जा स्रोतों का अध्ययन करने की सहमति दी है, और इसके लिए आइसलैंड अपनी खर्च पर अध्ययन करेगी। इस संबंध में विदेश मंत्रालय द्वारा गैर पारंपरिक ऊर्जा मंत्रालय को पत्र भेजा गया था, जिसे मंजूरी मिल चुकी है। अब वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कुछ जानकारी की आवश्यकता है, जिसे राज्य सरकार ने पहले ही प्रदान कर दिया है।

ऊर्जा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि दिसंबर या जनवरी तक सभी अनुमतियां मिलने के बाद आइसलैंड सरकार के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। यह कदम राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा की संभावनाओं को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।

ONGC की योजना और पायलट प्रोजेक्ट

ONGC, जो पहले से लद्दाख के पुगा घाटी में जियोथर्मल ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, अब उत्तराखंड में भी इस तकनीक का उपयोग करने की योजना बना रहा है। लद्दाख में ONGC 1 मेगावाट का पायलट प्रोजेक्ट तैयार कर रहा है, और इसी तर्ज पर उत्तराखंड में भी जियोथर्मल ऊर्जा से बिजली उत्पादन की शुरुआत की जा सकती है।

ONGC द्वारा प्रस्तावित इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य राज्य के ऊर्जा संकट को हल करना और पर्यावरणीय दृष्टि से भी एक स्थिर ऊर्जा स्रोत प्रदान करना है। जियोथर्मल ऊर्जा, जो प्राकृतिक रूप से गर्मी के स्रोतों से उत्पन्न होती है, एक नवीकरणीय और प्रदूषण रहित ऊर्जा स्रोत है। इससे राज्य को न केवल ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी, बल्कि यह पर्यावरणीय दृष्टि से भी लाभकारी होगा।

राज्य सरकार की तैयारी और विचार-विमर्श

उत्तराखंड सरकार इस दिशा में पहले से ही कई कदम उठा चुकी है। सरकार ने जियोथर्मल ऊर्जा के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विशेषज्ञों से परामर्श लिया है। राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा के खगोलीय और भौगोलिक आंकड़ों का अध्ययन किया गया है, और इसके लिए विभिन्न योजनाएं भी तैयार की गई हैं।

इस दौरान, आइसलैंड से प्राप्त सहयोग की संभावना उत्तराखंड के लिए एक नई दिशा दिखाती है। आइसलैंड में जियोथर्मल ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उपयोग की सफलताएं रही हैं, और अब आइसलैंड का विशेषज्ञ दल उत्तराखंड में भी इस ऊर्जा के स्रोतों का अध्ययन करेगा। इससे राज्य को न केवल जियोथर्मल ऊर्जा के स्रोतों की पहचान करने में मदद मिलेगी, बल्कि भविष्य में इसके उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।

आगे का रास्ता और भविष्य की योजनाएं

उत्तराखंड में जियोथर्मल ऊर्जा का उपयोग राज्य के ऊर्जा संकट को हल करने के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है। हालांकि, राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा के विशाल स्रोतों का पता चला है, लेकिन इस तकनीक को व्यावसायिक रूप से लागू करने के लिए कई पहलुओं पर काम करना होगा। इसके लिए राज्य सरकार को आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय सहायता और तकनीकी सहयोग की आवश्यकता होगी।

आइसलैंड के साथ होने वाले MoU और ONGC के प्रस्ताव से उत्तराखंड को जियोथर्मल ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई दिशा मिल सकती है। राज्य में बड़े पैमाने पर जियोथर्मल ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक शोध और सर्वेक्षण कार्यों की शुरुआत हो सकती है, जो राज्य के ऊर्जा संकट को हल करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, राज्य में होने वाले इन प्रयासों से पर्यावरणीय दृष्टि से भी काफी फायदा होगा, क्योंकि जियोथर्मल ऊर्जा प्रदूषण मुक्त और नवीकरणीय स्रोत है।

उत्तराखंड में जियोथर्मल ऊर्जा के उपयोग के लिए ONGC और आइसलैंड सरकार के साथ किए जा रहे समझौतों से राज्य में ऊर्जा के नए स्रोतों की शुरुआत हो सकती है। इस दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों से न केवल राज्य को ऊर्जा में आत्मनिर्भरता मिल सकती है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी यह कदम महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आइसलैंड की सहायता और ONGC के पायलट प्रोजेक्ट से राज्य में जियोथर्मल ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की उम्मीद है, जो आने वाले वर्षों में राज्य की ऊर्जा उत्पादन क्षमता को बढ़ा सकती है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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